केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों पर सरकार का रुख देखते हुए किसानों ने संसद कूच का एलान कर दिया है। मई के पहले सप्ताह में किसान संसद भवन तक पैदल मार्च करेंगे। वहीं बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक परिपत्र भी जारी किया। इसमें किसानों ने बताया कि वे कानूनों का विरोध क्यों कर रहे हैं। 14 अप्रैल को किसान संगठन भीमराव आंबेडकर की जयंती पर संविधान बचाओ दिवस मनाया जाएगा।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे (गाजीपुर बार्डर) पर प्रेसवार्ता में भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि सत्र बुलाए जाने पर संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से निर्णय लिया गया है कि सत्र बुलाने जाने पर किसान संसद का घेराव करेंगे।
उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर बैठकर यह कहते हैं कि किसान बताएं कि नए कृषि कानूनों में काला क्या है। हम सभी बातों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। इसलिए संयुक्त मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर की ओर से एक प्रपत्र भी जारी किया गया है। हम सभी भाजपा वालों को बहस के लिए चुनौती भी देते हैं कि आकर हमसे बहस करें। हम बताएंगे कि इस कानून में काला क्या है।
किसानों के साथ ही मजदूरों, सैनिकों और अन्य नौकरीपेशा लोगों को संबोधित करते हुए धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि आज किसान तो मारा ही जा रहा है, दूसरे तबकों का भी यही हाल करने की तैयारी हो रही है। सरकार अब यूएफटीए पर साइन करने जा रही है। यूएफटीए हमारे डेयरी उद्योग के लिए बड़ा खतरा है और पहले से ही हमारे एजेंडे में है। किसान तीन नए कृषि कानूनों की ही तरह यूएफटीए का भी विरोध करेगा। यूएफटीए के माध्यम से डेनमार्क जैसे देशों से दूध आयात किया जाएगा और किसान से कृषि के साथ दुग्ध उत्पादन का काम भी छीनने की तैयारी है।
गाजीपुर बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा अब पूर्व सैनिक संभालेंगे। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि आंदोलन के वालंटियर भी अब पूर्व सैनिकों के निर्देशन में काम करेंगे। भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि हमारे देश की आन, बान और शान रहे और सेना में अपनी सेवाएं दे चुके पूर्व सैनिक अब यहां सुरक्षा का मोर्चा संभालेंगे। आंदोलन को तोड़ने का कुचक्र प्रशासन और सरकार के सहयोग से रचा जा रहा है। आंदोलन के बैरियर नंबर-एक पर संघ की पाठशाला से निकले लोग आकर पत्थरबाजी करते हैं। मंगलवार को भी चौथी बार ऐसी घटना हुई। पुलिस एफआईआर दर्ज करने को तैयार नहीं होती।
किसान सभा के नेता डीपी सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिक आंदोलन स्थल पर आने वाले असामाजिक तत्वों पर नजर रखेंगे और आंदोलनकारियों की सुविधा का भी ध्यान रखेंगे। पूर्व सैनिक जेपी मिश्रा ने बताया कि हम लोग किसान आंदोलन के साथ कोई साजिश कामयाब नहीं होने देंगे। यदि कोई ऐसा मंसूबा रखता है तो उसे भूल जाए।