मशहूर बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर करीमुद्दीन आसिफ ने 3 ही फिल्में निर्देशित कीं जिनमें से एक फिल्म पूरी भी नहीं हो पाई, इसके बाद भी वो अपने काम करने के अंदाज के लिए मशहूर हैं. आसिफ अपनी फिल्म मुगल-ए-आजम से मशहूर हुए थे. इससे 15 साल पहले उन्होंने ''फूल'' बनाई थी. इसके अलावा उन्होंने ''लव एंड गॉड'' भी बनाई, जो कि अधूरी रही. ये फिल्म 23 साल बाद 1986 में रिलीज हो सकी. आसिफ का जन्म 14 जून, 1922 को हुआ था और 9 मार्च 1971 को वह इस दुनिया से रुख्सत हो गए. के. आसिफ की पहली फिल्म कुछ खास नहीं कर सकी थी, लेकिन दूसरी फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ ने इतिहास बना दिया. ‘मुग़ल-ए-आज़म’ को बनाने में 14 साल लगे थे. ये फिल्म उस वक़्त बननी शुरू हुई जब हमारे यहां अंग्रेजों का राज था. शायद ये एक कारण भी हो सकता है जिसके चलते इसको बनाने में इतना वक़्त लगा. ये उस दौर की सबसे महंगी फिल्म थी, इस फिल्म की लागत तक़रीबन 1.5 करोड़ रुपये बताई जाती है. जो उस समय के हिसाब से बहुत ज्यादा मानी जाती है. जन्मदिन नहीं मनाएंगे दिलीप कुमार, मिली है इंफेक्शन से बचने की सलाह फिल्म के एक गाने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ को फिल्माने में 10 लाख रुपये खर्च किये गए, ये वो उस दौर की वो रकम थी जिसमें एक पूरी फिल्म बन कर तैयार हो जाती थी. 105 गानों को रिजेक्ट करने के बाद नौशाद साहब ने ये गाना चुना था. इस गाने को लता मंगेशकर ने स्टूडियो के बाथरूम में जाकर गाया था, क्योंकि रिकॉर्डिंग स्टूडियो में उन्हें वो धुन या गूंज नहीं मिल पा रही थी जो उन्हें उस गाने के लिए चाहिए थी. उस गाने को आज तक उसके बेहतरीन फिल्मांकन के लिए याद किया जाता है. उसी फिल्म के एक और गाने ‘ऐ मोहब्बत जिंदाबाद’ के लिए मोहम्मद रफ़ी के साथ 100 गायकों से कोरस गवाया गया था. इस फिल्म को बड़ा बनाने के लिए हर छोटी चीज़ पर गौर किया गया था. फिल्म के प्रोड्यूसर थे शपूरजी पलौंजी मिस्त्री, जिन्हें सिनेमा बिल्कुल पसंद नहीं था. वो फिल्में नहीं देखते थे, लेकिन नाटक देखने के शौकीन थे और इसके लिए अक्सर ओपेरा हाउस जाया करते थे, जहां पृथ्वीराज कपूर के नाटक होते थे.

14 साल में बनी थी मुगल-ए-आजम, आसिफ ने खर्च कर दी थी सारी दौलत

मशहूर बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर करीमुद्दीन आसिफ ने 3 ही फिल्में निर्देशित कीं जिनमें से एक फिल्म पूरी भी नहीं हो पाई, इसके बाद भी वो अपने काम करने के अंदाज के लिए मशहूर हैं. आसिफ अपनी फिल्म मुगल-ए-आजम से मशहूर हुए थे. इससे 15 साल पहले उन्होंने ”फूल” बनाई थी. इसके अलावा उन्होंने ”लव एंड गॉड” भी बनाई, जो कि अधूरी रही. ये फिल्म 23 साल बाद 1986 में रिलीज हो सकी. आसिफ का जन्म 14 जून, 1922 को हुआ था और 9 मार्च 1971 को वह इस दुनिया से रुख्सत हो गए.मशहूर बॉलीवुड फिल्म डायरेक्टर करीमुद्दीन आसिफ ने 3 ही फिल्में निर्देशित कीं जिनमें से एक फिल्म पूरी भी नहीं हो पाई, इसके बाद भी वो अपने काम करने के अंदाज के लिए मशहूर हैं. आसिफ अपनी फिल्म मुगल-ए-आजम से मशहूर हुए थे. इससे 15 साल पहले उन्होंने ''फूल'' बनाई थी. इसके अलावा उन्होंने ''लव एंड गॉड'' भी बनाई, जो कि अधूरी रही. ये फिल्म 23 साल बाद 1986 में रिलीज हो सकी. आसिफ का जन्म 14 जून, 1922 को हुआ था और 9 मार्च 1971 को वह इस दुनिया से रुख्सत हो गए.  के. आसिफ की पहली फिल्म कुछ खास नहीं कर सकी थी, लेकिन दूसरी फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ ने इतिहास बना दिया. ‘मुग़ल-ए-आज़म’ को बनाने में 14 साल लगे थे. ये फिल्म उस वक़्त बननी शुरू हुई जब हमारे यहां अंग्रेजों का राज था. शायद ये एक कारण भी हो सकता है जिसके चलते इसको बनाने में इतना वक़्त लगा. ये उस दौर की सबसे महंगी फिल्म थी, इस फिल्म की लागत तक़रीबन 1.5 करोड़ रुपये बताई जाती है. जो उस समय के हिसाब से बहुत ज्यादा मानी जाती है.  जन्मदिन नहीं मनाएंगे दिलीप कुमार, मिली है इंफेक्शन से बचने की सलाह  फिल्म के एक गाने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ को फिल्माने में 10 लाख रुपये खर्च किये गए, ये वो उस दौर की वो रकम थी जिसमें एक पूरी फिल्म बन कर तैयार हो जाती थी. 105 गानों को रिजेक्ट करने के बाद नौशाद साहब ने ये गाना चुना था. इस गाने को लता मंगेशकर ने स्टूडियो के बाथरूम में जाकर गाया था, क्योंकि रिकॉर्डिंग स्टूडियो में उन्हें वो धुन या गूंज नहीं मिल पा रही थी जो उन्हें उस गाने के लिए चाहिए थी. उस गाने को आज तक उसके बेहतरीन फिल्मांकन के लिए याद किया जाता है. उसी फिल्म के एक और गाने ‘ऐ मोहब्बत जिंदाबाद’ के लिए मोहम्मद रफ़ी के साथ 100 गायकों से कोरस गवाया गया था. इस फिल्म को बड़ा बनाने के लिए हर छोटी चीज़ पर गौर किया गया था.  फिल्म के प्रोड्यूसर थे शपूरजी पलौंजी मिस्त्री, जिन्हें सिनेमा बिल्कुल पसंद नहीं था. वो फिल्में नहीं देखते थे, लेकिन नाटक देखने के शौकीन थे और इसके लिए अक्सर ओपेरा हाउस जाया करते थे, जहां पृथ्वीराज कपूर के नाटक होते थे.

के. आसिफ की पहली फिल्म कुछ खास नहीं कर सकी थी, लेकिन दूसरी फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ ने इतिहास बना दिया. ‘मुग़ल-ए-आज़म’ को बनाने में 14 साल लगे थे. ये फिल्म उस वक़्त बननी शुरू हुई जब हमारे यहां अंग्रेजों का राज था. शायद ये एक कारण भी हो सकता है जिसके चलते इसको बनाने में इतना वक़्त लगा. ये उस दौर की सबसे महंगी फिल्म थी, इस फिल्म की लागत तक़रीबन 1.5 करोड़ रुपये बताई जाती है. जो उस समय के हिसाब से बहुत ज्यादा मानी जाती है.

फिल्म के एक गाने ‘प्यार किया तो डरना क्या’ को फिल्माने में 10 लाख रुपये खर्च किये गए, ये वो उस दौर की वो रकम थी जिसमें एक पूरी फिल्म बन कर तैयार हो जाती थी. 105 गानों को रिजेक्ट करने के बाद नौशाद साहब ने ये गाना चुना था. इस गाने को लता मंगेशकर ने स्टूडियो के बाथरूम में जाकर गाया था, क्योंकि रिकॉर्डिंग स्टूडियो में उन्हें वो धुन या गूंज नहीं मिल पा रही थी जो उन्हें उस गाने के लिए चाहिए थी. उस गाने को आज तक उसके बेहतरीन फिल्मांकन के लिए याद किया जाता है. उसी फिल्म के एक और गाने ‘ऐ मोहब्बत जिंदाबाद’ के लिए मोहम्मद रफ़ी के साथ 100 गायकों से कोरस गवाया गया था. इस फिल्म को बड़ा बनाने के लिए हर छोटी चीज़ पर गौर किया गया था.

फिल्म के प्रोड्यूसर थे शपूरजी पलौंजी मिस्त्री, जिन्हें सिनेमा बिल्कुल पसंद नहीं था. वो फिल्में नहीं देखते थे, लेकिन नाटक देखने के शौकीन थे और इसके लिए अक्सर ओपेरा हाउस जाया करते थे, जहां पृथ्वीराज कपूर के नाटक होते थे.

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