गुजरात के साबरकांठा जिले में 14 महीने की मासूम के साथ दुष्कर्म के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बिहार के छपरा जिला निवासी मजदूर रवींद्र शाह उर्फ गांडे को 20 वर्ष सश्रम कैद की सजा सुनाई। गत वर्ष सितंबर माह में हुई इस वारदात के बाद राज्य में उत्तर भारतीयों के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा था।
हिम्मतनगर के फास्ट ट्रैक कोर्ट के विशेष न्यायाधीश केबी गुजराती ने गुरुवार को रवींद्र (करीब 20 वर्ष) को 20 साल सश्रम कैद की सजा सुनाई। उसे कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के साथ-साथ दुष्कर्म के मामलों के लिए हाल में शामिल की गई आइपीसी की धारा 376एबी के तहत दोषी पाया। नई धारा के तहत दोषी को फांसी की सजा का भी प्रावधान है।
अभियोजन पक्ष ने रवींद्र को फांसी की सजा देने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उसकी कम उम्र को देखते हुए हल्की रियायत बरती। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना की समाज में पुनरावृत्ति न हो इसलिए कठोर सजा जरूरी है। आरोपित पक्ष इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देगा।
गौरतलब है कि गत वर्ष 28 सितंबर को साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर तहसील के ढूंढर गांव में रात में सो रही मासूम के साथ रवींद्र ने दुष्कर्म किया था। इसके बाद राज्य में काम करने वाले बिहार व यूपी समेत अन्य उत्तर भारतीय राज्यों के मूल बाशिंदों पर हमले होने लगे थे। गुजरात की ठाकोर सेना ने भी लोगों को उकसाया था। इसके बाद यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर खूब उछला था।
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