मरणोपरांत मिला बड़ा अवार्ड: पाकिस्तान में जन्मे थे विनोद खन्ना, माली बनकर धोये टॉयलेट..
April 13, 2018
बॉलीवुड, मनोरंजन
मशहूर एक्टर विनोद खन्ना को मिला सबसे बड़ा अवार्ड। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं उनकी जिंदगी के बारे में ऐसी बातें, जो यकीनन आपने पहले नहीं सुनी होंगी।
फिल्म उद्योग में योगदान के लिए इस साल का दादा साहेब फाल्के अवार्ड दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना को देने का एलान किया गया है। दादा साहेब फाल्के भारतीय फिल्म उद्योग का सर्वोच्च सम्मान है। विनोद खन्ना का 27 अप्रैल 2017 को कैंसर के कारण 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। विनोद खन्ना ने 1968 में ‘मन का मीत’ फिल्म से कैरियर की शुरुआत की थी और उनकी आखिरी फिल्म 2007 में आई थी।
विनोद खन्ना भारतीय जनता पार्टी के नेता व पंजाब में गुरदासपुर जिले से लोकसभा सांसद थे। वे अपने जीवन में ओशो से प्रभावित थे। वो वक्त ऐसा था कि विनोद खन्ना फिल्में छोड़कर संन्यासी बन गए थे। नाम और पैसा कमाने के बावजूद उन्हें जिंदगी में कुछ खालीपन सा लग रहा था। इसे पूरा करने के लिए वह सन्यासी बने और पूरे चार साल तक अमेरिका में आध्यात्निक गुरु ओशो के आश्रम में बिताए।
1980 में विनोद खन्ना का मन फिर बदला। वह अपने परिवार के पास वापस लौटना चाहते थे। हालांकि ओशो की ओर से उन्हें ऑफर भी दिया गया कि वह चाहे तो पुणे के आश्रम की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं, लेकिन विनोद खन्ना ने इंकार कर दिया। फिर उनका जो कमबैक रहा, वो भी शानदार था। विनोद खन्ना ने अपने फिल्मी करियर में विलेन से लेकर रोमांटिक हीरो तक के किरदार निभाए।
6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे विनोद की जिंदगी की कहानी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं थी। साधारण परिवार से होने के बाद बॉलीवुड एक्टर बनने और फिर ओशो के आश्रम में माली बने। शादीशुदा जिंदगी खत्म करने को लेकर वो हमेशा ही सुर्खियों में रहे। पाकिस्तान से संबंध रखने वाले विनोद खन्ना ने एक पाकिस्तानी फिल्म गॉडफादर में मुख्य भूमिका निभाई, जो 2007 में रिलीज हुई।
भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद विनोद खन्ना का परिवार मुंबई आ गया था। मुंबई और दिल्ली में स्कूली पढ़ाई के बाद कॉलेज के दिनों के दौरान विनोद इंजीनियर बनना चाहते थे। पिता ने उनका एडमिशन कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा। विनोद के अनुसार, कॉलेज लाइफ में उनकी कई गर्लफ्रेंड्स थीं। यहीं उनकी मुलाकात गीतांजलि से हुई। गीतांजलि विनोद की पहली पत्नी थीं। कॉलेज से ही उनकी लव-स्टोरी शुरू हुई थी।
एक पार्टी के दौरान उनकी मुलाकात सुनील दत्त से हुई थी। सुनील एक फिल्म के लिए अपने भाई के किरदार के लिए किसी नए एक्टर की तलाश में थे। उन्होंने विनोद खन्ना को वो रोल ऑफर किया। लेकिन जब ये बात उनके पिता को पता चली तो वह नहीं माने। हालांकि, विनोद की मां ने उनके पिता को इसके लिए राजी कर लिया और दो साल का वक्त दिया। पिता ने कहा कि दो साल तक कुछ ना कर पाए तो फैमिली बिजनेस ज्वाइन कर लेना।
ओशो से प्रभावित होकर विनोद खन्ना ने अपना पारिवारिक जीवन तबाह कर लिया था। विनोद अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे। यहां तक कि उन्होंने अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए। दिसंबर, 1975 में विनोद ने जब फिल्मों से संन्यास का फैसला लिया तो सभी चौंक गए थे। बाद में विनोद अमेरिका चले गए और वो वहां उनके माली थे। वहां रहने के दौरान उन्होंने उनके टॉयलेट से लेकर जूठी थाली तक साफ की।
अमेरिका में विनोद खन्ना तकरीबन चार साल तक रहे और अमेरिका द्वारा ओशो आश्रम बंद करने के बाद इंडिया आ गए। पत्नी उन्हें तलाक देने का फैसला कर चुकी थीं। फैमिली बिखरने के बाद 1987 में विनोद ने फिल्म ‘इंसाफ’ से फिर से बॉलीवुड में एंट्री की। दोबारा फिल्मी करियर शुरू करने के बाद विनोद ने 1990 में कविता से शादी की। दोनों का एक बेटा साक्षी और एक बेटी श्रद्धा खन्ना है। राजनीति में एक्टिव विनोद खन्ना अब कई फिल्मों में भी नजर आ रहे हैं।
1997 में बीजेपी के मेंबर बनने के बाद विनोद नेता भी बन गए। वर्ष 1997 और 1999 में वे दो बार पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से भाजपा की ओर से सांसद चुने गए। 2002 में वे संस्कृति और पर्यटन के केन्द्रीय मंत्री भी रहे। सिर्फ 6 माह पश्चात ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया। सलमान खान स्टारर ‘दबंग’ सीरीज की फिल्मों में अहम किरदार निभा चुके विनोद शाहरुख की ‘दिलवाले’ में भी नजर आए थे।
मरणोपरांत मिला बड़ा अवार्ड: पाकिस्तान में जन्मे थे विनोद खन्ना माली बनकर धोये टॉयलेट.. 2018-04-13