एक ओर जहां मस्ती और उल्लास का पर्व लोहड़ी को लेकर सिख समाज तैयारियोंं में लगा है तो दूसरी ओर उसी दिन संतान की समृद्धि की कामना के पर्व सकट को लेकर भी बाजार तैयार हैं। दोनों ही त्योहार 13 जनवरी को ही पड़ेंगे। शाम होते ही लोहड़ी की मस्ती के बीच श्रद्धा का भाव नजर आएगा।

परिवार की कुशलता, संतान सुख, समृद्धि और कष्टों को दूर करने का पर्व सकट को लेकर बाजारों में तिल के लड्डुओं के साथ ही पूजन में प्रयोग होने वाले अन्य सामग्रियों की दुकानें सज गई हैं।
आलमबाग कोतवाली के पास और निशातगंज के अलावा डालीगंज समेत अन्य बाजारों में दुकाने ग्राहकों को अपनी ओर खींच रही हैं। विवाहित महिलाएं परिवार और बच्चों के ऊपर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए सकट व्रत रखती हैं।
मान्यता है कि इस दिन श्री गणेश ने देवताओं के कष्ट दूर किए थे। भगवान शंकर उन्हें कष्ट निवारण देवता होने की संज्ञा भी दी थी। आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि यह पर्व श्री गणेश के पूजन का पर्व है। चंद्रमा के पूजन के इस पर्व को चंद्रोदय के समय के अनुसार लिया जाता है।
आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि गुड़ या चीनी की चाशनी में काले तिल को मिलाकर उसका लड्डू बनाया जाता है। दिनभर निर्जला व्रत रखने वाली महिलाएं रात्रि को श्री गणेश के आह्वान के साथ चंद्रोदय के समय पूजन करती हैं।
पूजन के दौरान तिल के बने लड्डुओं का भोग चढ़ाया जाता है। पूजन के उपरांत तिल के लड्डुओं के अलावा गुड़ के बने रामदाना, लइया, मूंगफली के लड्डुओं के साथ गजक को भी चढ़ाया जाता है।
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