11 जनवरी 2024 विश्व मानव तस्करी जागरुकता दिवस पर विशेष अभियान

‘द एशिया फाउंडेशन’ एंव EVAWG-CB (END VOILANCE AGAINST WOMEN & GIRLS IN CROSS BORDER) के सहयोग से बैठक आयोजित करते हुए महिलाओं एवं बच्चों की क्रास बार्डर तस्करी के रोकथाम एवं हिंसा मुक्त वातावरण के निर्माण के लिए 75 सीमावर्ती जिलों में 30 जुलाई 2023 को विश्व मानव तस्करी विरोध दिवस के अवसर पर एक अभियान की शुरूआत की जा रही है। यह अभियान 11 जनवरी 2024 विश्व मानव तस्करी जागरुकता दिवस तक चलाया जाएगा। इस दौरान भारत से जुड़े विभिन्न देशों के 75 क्रॉस बॉर्डर मुख्यालयों पर सामाजिक संगठन, प्रबुद्धजन, सरकारी संस्थानों, शासन, प्रशासन, ग्रामीण संस्थान, युवक मंगल दल, बाल अधिकार कमेटी एवं मीडिया समूहों के सहयोग से इस अभियान को सफल बनाने का प्रयास किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशन में (क्रॉस बॉर्डर) मानव तस्करी एवं बाल श्रम को कठोरता से रोकने के लिए बाल विकास परियोजना एवं महिलाओं, बच्चों तथा लड़कियों को राहत तथा पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने के लिए सक्रिय प्रयास किए जा रहे हैं। द एशिया फाउंडेशन एवं एएचटीयू, एसएसबी, पुलिस, सामाजिक संगठन, मीडिया, शासन तथा प्रशासन के सहयोग/समन्वय द्वारा बेहतरीन परिणाम हासिल हुए हैं।
मानव तस्करी की वैश्विक समस्या से भारत सहित दुनिया के तमाम देश बुरी तरह प्रभावित हैं। SAARC एवं BIMSTEC के सदस्य देशों संग क्रास बार्डर सहयोग एवं समन्वय से देश के 75 सीमावर्ती जिलों में विगत 25 वर्षों में 17 हजार से अधिक महिलाओं, लड़कियों एवं बच्चों को अवैध मानव तस्करी के दलदल से आजाद कराते हुए उनको अपने घर पहुंचाने, पुनर्वास कराने का सराहनीय प्रयास किया गया है।

मानव तस्करी के रूप में पुरुष महिला एवं बच्चों के साथ जबरन श्रम एवं यौन तस्करी भारत के लिए भी गम्भीर समस्या है। तस्करों द्वारा गरीब तथा सामाजिक रूप से पिछड़े, आदिवासी समुदाय, अल्पसंख्यक वर्ग, महिलाओं एवं लड़कियों को विशेष रूप से टार्गेट किया जाता है। सरकारी आंकड़े के अनुसार 2021 में तस्करी से बचाए गए लोगों में 3912 महिलाएं थीं। जिसमें उड़ीसा(1290), महाराष्ट्र (890), तेलंगाना (796) तथा दिल्ली (509) शामिल हैं।

द एशिया फाउंडेशन अन्य सहयोगी संस्थाओं, एनजीओ आदि की सहभागिता से प्रत्येक जिले में बैठकें आयोजित करा रहा है। जिसमें महिलाओं एवं बच्चों के लिए हिंसामुक्त वातावरण के निर्माण के लिए मिलकर काम किया जाएगा। इसमें प्रमुख रूप से सुरक्षित प्रवासन को बढ़ावा देने, सामुदायिक भागीदारी का विकास करने तथा बाल श्रम को रोकने जैसे विषयों पर प्रभावी कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। उक्त आशय की जानकारी क्रास बार्डर अभियान से जुडेु संस्था प्रमुख पुरु मयंक त्रिपाठी, निदेशक पार्टनरशिप ने दी है।

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