पूर्वांचल के कुख्यात सुपारी किलर प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी ने नब्बे के दशक में उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली में भी आतंक मचाने की कोशिश की थी। मुख्तार अंसारी से जुड़ने पर मुन्ना की शक्ति बढ़ गई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस का दबाव बढ़ने पर उसने वर्ष 1998 में दिल्ली को ठिकाना बनाने की कोशिश की थी। दो कारोबारियों को धमकी देकर उसने उगाही भी कर ली थी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के जांबाज एसीपी रहे राजबीर सिंह को मुन्ना के बारे में जानकारी मिल गई थी और वह उसे निशाने पर ले रहे थे
11 गोली लगने के बाद भी मुन्ना बजरंगी बच गया !
11 सितंबर 1998 को स्पेशल सेल की टीम ने हरियाणा के करनाल में जब मुन्ना को दबोचने की कोशिश की तो वह वहां से भाग निकला। टीम ने उसका पीछा किया। दिल्ली के मुकरबा चौक (बुराड़ी) के पास टीम ने जब मुन्ना बजरंगी की कार को घेर कर उसे व उसके एक साथी को दबोचने की कोशिश की तो बदमाशों ने फाय¨रग कर दी। मुठभेड़ में कार सवार कुख्यात यतींद्र गुर्जर मारा गया था। मुन्ना को 11 गोलियां लगी थीं। उसकी हालत देखकर स्पेशल सेल ने उसे मृत समझ लिया था। समाचार चैनलों पर मुन्ना के मारे जाने की खबर प्रसारित कर दी गई थी। मानवाधिकार आयोग की टीम भी मौके पर पहुंची।