“मेरे पिता मरे नहीं, देश के लिए शहीद हुए हैं. मोदी सरकार से कह दो, जब हम बड़े होंगे तो फौज में जाकर 100 पाकिस्तानियों को मारकर शहीद पिता का बदला लेंगे.” ये जज्बात हैं सुल्तानपुर के शहीद नीलेश सिंह के बेटे सार्थक का. जिसने भी शहीद नीलेश सिंह के बेटे सार्थक के बोल सुने, उसके अंदर भी देश के लिए कुछ कर गुजरने का जोश आ गया.
बताते चलें कि अखंडनगर थाना क्षेत्र के नगरी गांव के रहने वाले नीलेश सिंह रविवार को एक आपरेशन के दौरान जम्मू काश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. सैनिक पृष्ठभूमि वाले नीलेश सिंह के परिवार में उनके चचेरे भाई बीएसएफ में हैं तो दो चाचा पुलिस फोर्स में हैं.
पहली मार्च 1987 को जन्में नीलेश बचपन से ही सेना में जाने का जुनून रखते थे. हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करते ही नीलेश सेना में भर्ती हो गए. साल 2006 में नीलेश की शादी जिले के लम्भुआ कोतवाली के देवलपुर की रहने वाली अर्चना के साथ हुई थी. नीलेश के दो बेटे हैं. बड़ा बेटा सार्थक उर्फ़ अंश कक्षा 5 में पढ़ता है जबकि छोटा बेटा शिवाय अभी डेढ़ साल का है.
नीलेश जब-जब घर आते थे अपने बच्चों को फौजियों के किस्से सुनाया करते थे. शायद यही वजह है कि उसके बेटे में देशसेवा का जज्बा अभी से है. पिता की शहादत पर उसे गर्व है, लेकिन दुश्मन देश पाकिस्तान के प्रति नफरत भी है. उसका कहना है कि वह बड़ा होकर फौज में भर्ती होगा और सौ पाकिस्तानियों को मारकर अपने शहीद पिता का बदला लेगा.
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