भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) आज देश शाम 4.10 बजे देश का 35वां संचार सेटेलाइट जीसैट-7ए लॉन्च करेगा। इसके साथ ही देश अंतरिक्ष में एक नई छलांग लगाएगा। जीसैट-7ए की लॉन्चिंग आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर में होगी। श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर में जीसैट-7ए को जीएसएलवी एफ-11 जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट में छोड़ेगा।
जीसैट-7ए का वजन 2,250 किलोग्राम वजन है और इसका जीवन 8 साल बताया जा रहा है। इस नए सैटेलाइट से देश में इंटरनेट की स्पीड 100 गीगाबाइट तक पहुंचेगी। इससे भारत में केयू-बैंड के यूजर्स को संचार क्षमताएं मिलेगी।
वायुसेना और नौसेना को होगा फायदा
जीसैट-7ए की लॉन्चिंग से ना सिर्फ इंटरनेट की बेहतर स्पीड मिलेगी बल्कि इसका फायदा देश की वायुसेना को भी खूब होगा। जानकारी के अनुसार इस सेटेलाइट से भारतीय वायुसेना को वह ताकत मिलेगी, जिसकी उसे बहुत ज़रूरत है। भारतीय वायुसेना (IAF) को इससे इन्टीग्रेटेड एयर कमांड तथा हवाई लड़ाकों के लिए कंट्रोल सिस्टम में संचार का एक ताकतवर पहलू जुड़ जाएगा। अब तक IAF ट्रांसपॉन्डर किराये पर लिया करती थी, जिसकी जासूसी करना आसान था।
वहीं भारतीय नौसेना के पास सिर्फ उसके इस्तेमाल के लिए एक सैटेलाइट GSAT-7 पहले से है, जिसे ‘रुक्मणि’ भी कहा जाता है। इसे 2013 में लॉन्च किया गया था। GSAT-7 नौसेना को हिन्द महासागर क्षेत्र में ‘रीयल-टाइम सिक्योर कम्युनिकेशन्स कैपेबिलिटी’ उपलब्ध कराता है। इससे विदेशी ऑपरेटरों द्वारा संचालित उपग्रहों के भरोसे रहने की ज़रूरत खत्म हो जाती है, जिन पर नज़र रखा जाना आसान होता है।
जीसैट-11 हुआ था लॉन्च
बता दें कि बीते 5 दिसंबर को इसरो ने भारत के सबसे भारी उपग्रह जीसैट-11 को सुबह यूरोपीय स्पेस एजेंसी के प्रक्षेपण केंद्र फ्रेंच गयाना से अंतरिक्ष के लिए रवाना किया गया था। एरियन-5 रॉकेट ने बेहद सुगमता से जीसैट-11 को उसकी कक्षा में स्थापित किया था। जीसैट-11 भारत की सबसे बेहरीन अंतरिक्ष संपत्ति में है।
यह भारत द्वारा निर्मित अब तक का सबसे भारी, बड़ा और शक्तिशाली उपग्रह है। इसरो का कहना था कि हर सेकंड 100 गीगाबाइट से ऊपर की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी देने में सक्षम होगा। इसके साथ ही हाई क्वालिटी टेलीकॉम और डीटीएच सेवाओं में भी यह उपग्रह एक अहम भूमिका निभाएगा। इससे देश में इंटरनेट स्पीड पहले से काफी बेहतर हो जाएगी।