भारत-फ्रांस के बीच हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर अब एक नया बवाल खड़ा हो गया है. फ्रेंच रिपोर्ट में इस डील में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. इसके बाद से ही कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है. इन आरोपों को लेकर राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मीडिया से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि ये जो नया खुलासा हुआ है, उससे साफ है कि राफेल डील में हेराफेरी हुई है.
दिग्विजय सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री इस हेराफेरी में सीधे तौर पर शामिल हैं, क्योंकि राफेल डील में सारी प्रक्रिया को ताक पर रखा गया. रक्षा मंत्री को भी इसकी खबर नहीं थी.” उन्होंने इस मामले में जेपीसी जांच की मांग की है. उन्होंने ये भी कहा कि “प्रधानमंत्री अब फ्रांस जाने वाले हैं, कहीं इस मामले पर पर्दा रखने के लिए तो नहीं जा रहे?”
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, “इस पूरे लेन-देन को Gift to Clients की संज्ञा दी गई. अगर ये मॉडल बनाने के पैसे थे, तो इसे Gift to Clients क्यों कहा गया? क्या ये छिपे हुए ट्रांजेक्शन का हिस्सा था. ये पैसे जिस कंपनी को दिए गए, वो मॉडल बनाती ही नहीं हैं.” उन्होंने कहा, “60 हजार करोड़ रुपए के राफेल रक्षा सौदे से जुड़े मामले में सच्चाई सामने आ गई है. ये हम नहीं फ्रांस की एक एजेंसी ने खुलासा किया है.” उन्होंने कहा कि जब दो सरकारों के बीच रक्षा समझौता हो रहा है, तो कैसे किसी बिचौलिये को इसमें शामिल किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि क्या अब प्रधानमंत्री इस पर जवाब देंगे?
दरअसल, फ्रांस की पब्लिकेशन मीडियापार्ट ने एक रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट में दावा किया है कि दसॉ एविएशन ने राफेल डील के लिए भारत में एक बिचौलिये को 1.1 मिलियन यूरो (करीब 10 करोड़ रुपए) दिए थे. इसके अलावा दसॉ के 2017 में ऑडिट में 5,08,925 यूरो को Gift to Clients के तौर पर दिखाया गया है. फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी के सवाल पर दसॉ ने बताया था कि उसने राफेल विमान के 50 मॉडल एक भारतीय कंपनी से बनवाए. इसके लिए एक मॉडल पर 20,000 यूरो दिए गए. हालांकि, यह मॉडल कहां और कैसे इस्तेमाल किए गए इसका कोई प्रमाण नहीं दिया गया.