होली के लिए बाजार सज चुके हैं। त्योहार को लेकर बाजार में मिठाइयों और रंगों की भी बिक्री जोरों पर है। पर मिठाई और रंग खरीदने से पहले यह जान लें कि इन चीजों में भारी मिलावट हो रही है।
यह बात स्पेक्स (सोसायटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एनवायरमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट) की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार खाद्य पदार्थों में 82.5 फीसद तक मिलावट हो रही है। इतना ही नहीं, अगर विशेषकर मावा, बर्फी और गुलाब जामुन की बात करें तो इसमें 95 फीसद तक मिलावट है।
शनिवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों के समक्ष स्पेक्स ने अपनी सर्वे रिपोर्ट साझा की। स्पेक्स के सचिव डॉ. बृज मोहन शर्मा ने बताया कि दून के विभिन्न क्षेत्रों की दुकानों से स्पेक्स ने खाद्य पदार्थों के 240 और रंगों 50 नमूने लिए थे।
दोनों में भारी मिलावट पाई गई। खाद्य पदार्थों में 198 नमूनों में 82.5 फीसद मिलावट पाई गई। उन्होंने बताया कि होली में हर्बल रंगों के नाम पर बिक रहे रंगों में भी मिलावट पाई गई है। बृजमोहन ने कहा कि स्वास्थ्य के लिए इन रंगों और मिठाइयों से दूर रहना ही फायदेमंद है।
डॉ. बृज मोहन शर्मा ने बताया कि दूध में खाने का सोडा, अरारोट, यूरिया, दूध पाउडर की मिलावट पाई गई। वहीं मावा, पनीर, बर्फी, मिल्क केक समेत अन्य मिठाईयों में दूध पाउडर, आलू का पाउडर, अरारोट की मिलावट सामने आई।
गुजिया, गुलाब जामुन जैसी मिठाई बनाने के लिए पुराना मैदा, कृत्रिम मावा आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं सरसों और रिफाइंड तेल में रिफाइंड मोबिल ऑयल की मिलावट मिली।
धामावाला, पटेलनगर, माजरा, सहारनपुर चौक, हनुमान चौक, कांवली रोड, पलटन बाजार, पंडितवाड़ी, प्रेमनगर, कृष्ण नगर, डाकरा, करनपुर, नालापानी रोड, सहस्रधारा रोड, रायपुर, जाखन, राजपुर रोड।
स्पेक्स ने बाजार में बिक रहे हर्बल रंगों के 20 नमूने लिए, जिसमें से 11 में मेटेलिक रंगों की मिलावट पाई गई। इसके अलावा सामान्य हरे रंग में मैलेचाइट ग्रीन एवं कॉपर सल्फेट, बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड, सिल्वर रंग में एल्मुनियम ब्रोमाइड, काले रंग में लेड आक्साइड, पीले रंग मं मेटनिल येलो, लाल रंग में रोहडामिन बी एवं मरक्यूरिक सल्फाइट की मिलावट पाई गई। बृजमोहन शर्मा ने बताया कि इन रसायनों के प्रयोग से त्वचा रोग, आखों में जलन, अंधापन, कैंसर आदि रोग हो सकते हैं।