सब कुछ ठीक रहा तो अगले वर्ष जून से ज्वेलरी पर हॉलमार्क अनिवार्य हो जाएगा। इसके लिए उपभोक्ता व खाद्य मंत्रालय ने तैयारियां शुरू कर दी है। तब केवल तीन-14,18 और 22 कैरेट में ही सोने की ज्वेलरी बेची जा सकेंगी, जो हॉलमार्क सेंटर से प्रमाणित होगा। सरकार की कोशिश है कि इसके लिए ब्लाक स्तर पर हॉलमार्क सेंटर खोले जाएं ताकि ज्वेलरी की गुणवत्ता परखने की व्यवस्था में दिक्कत न आएं। वहीं, ज्वेलर्स से भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) से पंजीकरण कराने को भी कहा गया है। बिना पंजीकरण के वे ज्वेलरी नहीं बेच सकेंगे। वैसे दिल्ली में मुश्किल से 45 हॉलमार्किंग सेंटर है। अनिवार्यता की स्थिति में कम से कम 200 हॉलमार्किंग सेंटर की आवश्यकता होगी। चांदनी चौक व करोलबाग दिल्ली में बड़े ज्वेलरी बाजार हैं। सरकार ने हॉलमार्क सेंटर लगाने के लिए इच्छुक लोग को आगे आने को कहा है।
अब दिल्ली के ज्वेलर्स इस नई व्यवस्था के प्रावधानों को लेकर चिंतित हैं। उनका मानना है कि इससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा। खर्च के साथ खाता बही में कागजों का बोझ बढ़ेगा। वैसे, यह पूरी व्यवस्था ज्वेलरी की गुणवत्ता में धांधली को रोकने पर है। ऐसे कई मामले आते हैं, जो गुणवत्ता से कम कैरेट की ज्वेलरी की बिक्री को लेकर होते हैं। अब इस व्यवस्था में ज्वेलर्स की जवाबदेही भी तय होगी। वहीं, ज्वेलर्स चाहते हैं कि इसमें हॉलमार्किंग सेंटर की ही एकल जवाबदेही हो, क्योंकि वह ज्वेलरी की गुणवत्ता को प्रमाणित करेगा और उसके आधार पर बिक्री होगी।
द बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन, कूचा महाजनी के अध्यक्ष योगेश सिंघल ने कहा कि प्रमाणित होने के बावजूद जब सोने की गुणवत्ता को लेकर ज्वेलर्स की जिम्मेदारी का प्रावधान नए कानून में है तो फिर हॉलमार्किंग सेंटर का क्या मतलब रह जाता है। इसपर सरकार को सोचना चाहिए। इसी तरह ज्वेलर्स को बिक्री की हर ज्वेलरी का विवरण भी रखने का प्रावधान है, जो ज्वेलर्स पर कागजों का बोझ बढ़ाएगा। बीआइएस से पंजीकरण शुल्क और ज्वेलरी पर रायल्टी भी बड़ा मुद्दा है, जो ज्वेलर्स को चिंतित किए हुए हैं। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि उपभोक्ता व खाद्य मंत्रालय जून में हॉलमार्किंग की अनिवार्य करने से पहले उनकी चिंताओं का निराकरण करेगी।