हेमकुंड साहिब उत्तराखंड क्र चमोली जिले में स्थित सिखों का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है. हिमालय की एक बर्फ़ीली झील के किनारे सात पहाड़ों के बीच स्थित है हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा सिखों का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. ऐसा माना जाता है कि इन सात पहाड़ों पर निशान साहिब झूलते हैं. यहाँ पहुंचने के लिए ऋषिकेश-बद्रीनाथ के साँस-रास्ता पर चलते गोबिन्दघाट से केवल पैदल चढ़ाई के द्वारा ही पहुँचा जा सकता है.

हेमकुंड साहिब तीर्थ के चारों ओर से बर्फ़ की ऊँची चोटियों का प्रतिबिम्ब विशालकाय झील में अत्यन्त मनोरम एवं रोमांच से परिपूर्ण लगता है. झील के किनारे स्थित लक्ष्मण मंदिर भी अत्यन्त दर्शनीय है. अत्याधिक ऊँचाई पर होने के कारण वर्ष में लगभग 7 महीने यह झील बर्फ में जम जाती है. हेमकुंड एक संस्कृत नाम है जिसमे हेम का मतलब “बर्फ़” और कुंड का मतलब “कटोरा” होता है. दसम ग्रंथ के मुताबिक़ यह वह जगह है जहाँ पाँडु राजो ने योग्य सुधारा था.इस स्थान का उल्लेख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित दसम ग्रंथ में आता है. अतः सिख समुदाय में जो लोग दसम ग्रंथ में विश्वास रखते हैं उन लोगों के लिए यह स्थल विशेष महत्व रखता है. ऐसा कहा जाता है कि यहाँ पहले एक मंदिर था जिसका निर्माण भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने करवाया था. सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने यहाँ पूजा अर्चना की थी और बाद में इसे गुरूद्वारा धोषित कर दिया गया.
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