हिरासत में युवती की मौत की सीबीआई ही करेगी जांच

धोखाधड़ी के मामले में पूछताछ के लिए याची व उसकी मंगेतर रमनदीप कौर को अगस्त 2017 को पुलिस ने उठाया था। इसके बाद उसकी मंगेतर को बेदर्दी से पीटा गया और उसकी मौत हो गई।

पुलिस हिरासत में युवती की मौत को लेकर जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश को चुनौती देते हुए पंजाब सरकार की ओर से दाखिल की गई अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। ऐसे में अब इस मामले की जांच सीबीआई ही जारी रखेगी।

हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मुकुल गर्ग ने एडवोकेट प्रथम सेठी व प्रांशुल ढुल के माध्यम से बताया था कि धोखाधड़ी के मामले में पूछताछ के लिए याची व उसकी मंगेतर रमनदीप कौर को अगस्त 2017 को पुलिस ने उठाया था। इसके बाद उसकी मंगेतर को बेदर्दी से पीटा गया और उसकी मौत हो गई। याची के परिजनों ने जब उच्चाधिकारियों को शिकायत दी तो तुरंत लीपापोती शुरू कर दी गई और इसे आत्महत्या का मामला बना दिया गया। 

याचिका दाखिल होने के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर एसआईटी गठित की गई थी। एसआईटी ने इस मामले में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की थी। पंजाब सरकार ने बताया था कि याची ने मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था कि मृतका का उसके अलावा कोई भी नहीं था जबकि एसआईटी के सामने कहा कि युवती के परिजनों का इंतजार किए बगैर जबरन उसका अंतिम संस्कार करवा दिया गया। ऐसे में बयान में बदलाव की दलील देते हुए सीबीआई को जांच न सौंपने की अपील की गई। 

हाईकोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट देखी तो पाया कि इसमें उस चाकू का जिक्र ही नहीं था जिसकी इस मामले में बेहद अहम भूमिका थी। मृतका के दोनों हाथों की कलाई कटी हुई थी। चाकू मृतका के अंत:वस्त्रों में प्राप्त हुआ था, जिसे एएसआई सुखदेव सिंह को सौंपा गया था। इसके बाद यह गायब हो गया और इस बारे में न तो पुलिस ने जांच की और न ही एसआईटी ने। बड़ा सवाल यह है कि पुलिस हिरासत में रमनदीप कौर के पास चाकू पहुंचा कहां से और पोस्टमार्टम के बाद वह चाकू गायब कहां हो गया। 

हाईकोर्ट ने कहा था कि एसआईटी की जांच में काफी खामियां रहीं और ऐसे में लोगों का कानून पर विश्वास बना रहे इसलिए निष्पक्ष जांच जरूरी है। 11 मार्च 2024 को हाईकोर्ट ने इस मामले जांच सीबीआई को सौंपते हुए तीन महीने में रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। इस आदेश को पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सोमवार को पंजाब सरकार की अपील पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

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