हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला, हाइवे पर शौचालय यात्रियों और पर्यटकों का मौलिक अधिकार

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि हाइवेज पर सार्वजनिक शौचालय की सुविधा का होना यात्रियों और पर्यटकों के मौलिक अधिकार हैं।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला, हाइवे पर शौचालय यात्रियों और पर्यटकों का मौलिक अधिकार
 
अदालत को बताया गया था कि एक शीर्ष आकर्षण पर्यटक स्थल होने के कारण 2016-17 में लगभग 2 लाख गाड़ियां 84 लाख पर्यटक हिमाचल प्रदेश में आए हैं। इसके अलावा यह कहा गया कि नेशनल हाइवेज और स्टेट हाइवेज पर राज्य में लगभग 5,000 बसें चलती हैं। कोर्ट ने कहा है कि इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के आवागमन के बावजूद हाइवेज पर सार्वजनिक शौचालय की सुविधा का न होना बेहद चिंताजनक है। इसी वजह से मजबूरन यात्रियों और पर्यटकों को खुले में पेशाब व शौच करना पड़ता है। 

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टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप शर्मा वाली बेंच ने कहा कि नेशनल हाइवेज और स्टेट हाइवेज पर दिन-रात की यात्रा करने वाले पर्यटकों व यात्रियों को मजबूर होकर खुले में शौच व पेशाब करना पड़ता है। इसकी वजह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के साथ प्रदूषण में भी बढ़ता है। 

गौरतलब है कि खुले में  शौच मुक्ति का दर्जा पाने वाला हिमाचल प्रदेश देश का दूसरा राज्य बन गया है। 
हालांकि न्यायमूर्ति देवेन खन्ना की रिपोर्ट इस मामले में चौंका देने वाली है। एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 2006-07 और 2010-11 के बीच करीब 1 करोड़ शौचालय बनाये गए लेकिन इसमें से बड़ी संख्या में खराब पड़े हैं। जिसकी वजह से उनका इस्तेमाल शौच व पेशाब के लिए नहीं हो पा रहा है। 

 
 

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