हिमांशु और अर्चित ने किया टॉप JEE एडवांस 2019 में, बताई अपनी सफलता का राज

फिट्जी के छात्रों ने इस बार भी जेईई एडवांस्ड 2019 में शानदार सफलता हासिल की है। इस परीक्षा में इंस्टीट्यूट के 5 छात्रों ने ऑल इंडिया रैंकिंग की टॉप 15 में जगह बनाई है। इनमें गोरखपुर के हिमांशु गौरव सिंह को पूरे देश में द्वितीय एवं अर्चित बुबना को तृतीय रैंक मिली है। इन दोनों टॉपर्स की तैयारियों, रुचियों और उनकी भविष्य की योजनाओं पर ड़ालते हैं एक नजर…

जेईई के लिए आपने तैयारी कब शुरू की? तैयारी की रणनीति क्या रही, इस बारे में भी कुछ बताएं।

हिमांशु: मैं जब 10वीं में था, तभी अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। उसी समय मैंने फिट्जी के तीन वर्षीय क्लॉसरूम प्रोग्राम में भी नामांकन कराया। मेरी तैयारी की रणनीति यह थी कि मैं पहले अपने कमजोर एरिया की पहचान करता और फिर उसे उसी समय मजबूत बनाने की कोशिश करता था, इससे मुझमें आत्मविश्वास आया।

इसके अलावा, एक तय समय सीमा में प्रश्नों का अभ्यास करता था, जिससे मुझे वास्तविक परीक्षा के दिन काफी मदद मिली। इसके साथ-साथ मैं हमेशा फिट्जी की क्लॉस किया करता था, वहां कभी कोई क्लॉस छोड़ा नहीं। इससे मेरी तैयारी लगातार बेहतर होती गई।

जेईई की तैयारी के साथ-साथ 12वीं बोर्ड परीक्षा को कैसे मैनेज करना चाहिए?

हिमांशु: बहुत से छात्रों के लिए यह मनोवैज्ञानिक चिंता का विषय है। वैसे इसे लेकर परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। अगर आपके फंडामेंटल्स मजबूत हैं और सभी टॉपिक्स पर आपकी अच्छी पकड़ है, तो किसी भी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। साथ ही यह भी बहुत जरूरी है कि स्कूल में आप रेगुलर जाएं और यह सुनिश्चित करें कि सभी स्कूल एग्जाम्स में भी अपीयर हों।

यह धारणा है कि जेईई की तैयारी करने से आप समाज से कट जाते हैं। क्या यह सही है? 

हिमांशु: यह सही नहीं है। यदि आप नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे हैं, तो अपने लिए भी समय निकल जाता है। खासतौर से बिना समय गंवाए जब आप सौ प्रतिशत समर्पण के साथ पढ़ाई कर रहे हैं, तो यह चीज कभी सामने नहीं आएगी। सामाजिक मेल-मिलाप के लिए भी पर्याप्त समय निकल आएगा।

क्या जेईई की तैयारी तनावभरा रहा?

हिमांशु: अधिकतर छात्र और उनके अभिभावक यही मानते हैं कि जेईई की तैयारी बहुत तनावभरी होती है। लेकिन मैं पूरे विश्वास से यह कह सकता हूं कि फिट्जी में आपको बिल्कुल भी ऐसा एहसास नहीं होगा। कुल मिलाकर, फंडामेंटल्स को लगातार मजबूत बनाते रहना और अपनी तार्किक क्षमता को बढ़ाते रहना ही सफलता का मूलमंत्र है। अगर आप पूरे फोकस और समर्पण के साथ फिट्जी के सिस्टम को फॉलो करते हैं, तो तनाव और चिंताएं बिल्कुल भी नहीं होंगी।

अर्चित, आपने अपनी तैयारी छठी क्लॉस से ही शुरू कर दी थी। इतनी जल्दी तैयारी शुरू करने के क्या कारण थे?

अर्चित: देखिए, जेईई की तैयारी छठी क्लॉस से नहीं शुरू होती है। लेकिन हां, बाद में जब आप इसकी तैयारी करना शुरू करेंगे, तब इसका बहुत फायदा मिलेगा, ज्यादा आत्मविश्वास और उत्साह के साथ यह तैयारी करेंगे।

फिट्जी के शुरुआती दिनों में ही मैं जूनियर साइंस ओलंपियाड एवं आरएमओ जैसे कई एग्जाम्स को क्लियर करने में कामयाब रहा। मैं यह विश्वास के साथ कह सकता हूं कि फिट्जी से शुरुआती दिनों में जुड़ जाने से मेरी तार्किक सोच, आइक्यू व एनालिटिकल क्षमता में काफी सुधार हुआ। जेईई एडवांस्ड 2019 में जो सफलता मिली, उसमें इन सारी चीजों का भी बहुत योगदान रहा।

जेईई की तैयारी की इस लंबी अवधि के दौरान आपने खुद को दृढ़ और प्रेरित कैसे रखा?

अर्चित: मैं हमेशा यह सपना देखा करता था कि आइआइटी में पढ़ाई कर रहा हूं। यह मेरा पैशन ही था कि मैं लगातार अच्छा करने की कोशिश करता रहा। इन वर्षों के दौरान यही चीजें मुझे हमेशा प्रेरित भी रखीं। हालांकि इस दरम्यान कुछ ऐसे भी पल आए, जब यह महसूस ही नहीं किया कि मैं पढ़ाई कर रहा हूं। 

पढ़ाई में गति बनाए रखने में दिक्कत आई। हालांकि इस दौरान जब लगता था कि पढ़ाई में एकाग्रता नहीं बन पा रही है, तो मैं कुछ दिनों की ब्रेक ले लिया करता था और खुद को फिर से ऊर्जावान बनाने के लिए स्पोर्ट या दूसरी करिकुलर गतिविधियों में हिस्सा लिया करता था। ’क्या तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स को सभी विषयों-फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स का एक समान अध्ययन करना चाहिए या केवल दो विषयों पर ही फोकस करना पर्याप्त रहेगा? 

अर्चित: तीसरे विषय को दरकिनार करते हुए सिर्फ दो विषयों का अध्ययन करने से आपके रैंक पर बुरा असर पड़ सकता है। बड़े मार्जिन से रैंक में नीचे चले जाएंगे। इससे मनचाहा इंस्टीट्यूट और ब्रांच भी नहीं मिल पाएगा। कुल मिलाकर, मेरी सफलता का मूलमंत्र यही रहा कि मैंने अपनी पढ़ाई शेड्यूल के अनुसार की और तीनों विषयों को हमेशा बराबर समय दिया।

जैसा कि जेईई मेन अब साल में दो बार आयोजित किया जाने लगा है। आपके अनुसार क्या हमें पहले प्रयास में अपीयर होना चाहिए या दूसरे प्रयास में या फिर दोनों ही परीक्षाओं में अपीयर होने की जरूरत है?

अर्चित: इस बारे में मैं यही कहूंगा कि आपको दोनों ही प्रयास में शामिल होना चाहिए। पहले प्रयास के दौरान आपको यह पता चल जाएगा कि तैयारी में कहां कमी और लूपहोल्स हैं। फिर अगले प्रयास में शामिल होने से पहले अपनी उन कमियों को सुधारने का आपको मौका मिल जाएगा। तब आप ज्यादा उत्साह और आत्मविश्वास के साथ बेहतर प्रदर्शन करने में सफल हो सकते हैं।

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