हिन्दू धर्म में कुमकुम और हल्दी का महत्व होता है ये….

नई दिल्ली प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म में कुमकुम या सिन्दूर और हल्दी को पवित्र माना जाता रहा है। शादी से लेकर पूजा तक इन दोनों चीज़ों का उपयोग शुभ समय और शुभ दिन में किया जाता है। आइये जानें कि हिन्दू धर्म में कुमकुम और हल्दी का क्या महत्व है।

kum2 कुमकुम या सिन्दूर ऐसा पदार्थ है जिसे हिन्दू विवाहित स्त्री से अलग नहीं किया जा सकता। प्राचीन काल से ही विवाहित स्त्री अपने माथे पर बिंदी या कुमकुम लगाती आ रही है और कुमकुम को बनाने के लिए मुख्यत: हल्दी और प्राकृतिक कपूर की आवश्यकता होती है।

जब हल्दी की बात आती है तो हिन्दू धर्म में यह एक अन्य महत्वपूर्ण पदार्थ है जिसकी आवश्यकता हिन्दू धर्म की धार्मिक रस्मों के समय होती है। यहाँ तक कि हल्दी का उपयोग गणेश पूजन के लिए भगवान गणेश की मूर्ति बनाने के लिए भी किया जाता है।

हल्दी के अन्य कई महत्व भी हैं जैसे कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है। एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक होने के कारण इसका उपयोग कट्स या बर्न्स के उपचार में तथा कई आंतरिक स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में किया जाता है। 

1. कुमकुम विवाहित हिन्दू स्त्री होने की निशानी: प्राचीन काल से ही विवाहित हिन्दू स्त्री अपने माथे पर कुमकुम को बिंदी की तरह लगाती है और बालों में बीच की मांग में सिंदूर लगाती है। सिंदूर लगाने का तात्पर्य पति की लम्बी आयु और सफलता की कामना करना है।

2. हल्दी शुद्धता का प्रतीक है: आपने अक्सर देखा होगा कि हिन्दू शादियों में हल्दी की रस्म होती है। इसमें दुल्हन को हल्दी के पेस्ट लगाई जाती है। इस रस्म का उद्देश्य दुल्हन को सभी पापों से मुक्त करना तथा शादी की सभी रस्मों के लिए तैयार करना होता है।

3.कुमकुम स्त्री शक्ति का प्रतीक है: विद्वानों के अनुसार लाल रंग शक्ति और उर्जा का प्रतीक है और यह देवी पार्वती या सती की शक्ति का प्रतीक है जो शक्ति का प्रतीक हैं। पौराणिक हिन्दू कथाओं के अनुसार सती एक आदर्श पत्नी थी क्योंकि उन्होंने अपना जीवन अपने पति को समर्पित कर दिया था। प्रत्येक स्त्री को उनका अनुसरण करना चाहिए और इसलिए अपने पति के प्रति श्रद्धा दर्शाने के लिए लिए माथे पर कुमकुम लगाना चाहिए।

4. हल्दी कई चीज़ों का प्रतीक है: आम धारणा के अनुसार सूर्य हल्दी सूर्य, अच्छे भाग्य और प्रजनन क्षमता का प्रतीक है। यह व्यक्ति के आत्म गौरव और संपूर्ण समृद्धि की भी प्रतीक है। यही कारण है कि प्रत्येक पवित्र अवसर पर हमेशा हल्दी का उपयोग किया जाता है।

5. कुमकुम का ज्योतिषीय महत्व: हिन्दू ज्योतिषीय विश्वास के अनुसार कुमकुम सौभाग्य या अच्छे भाग्य का प्रतीक है। वास्तव में ऐसा माना जाता है कि माथा मेष राशि का स्थान है और मंगल मेष राशि का राशि स्वामी है। यदि विवाहित महिलायें माथे पर कुमकुम लगाती हैं तो उनका भाग्य अच्छा होता है।

6. हल्दी के रंग का महत्व: हल्दी नारंगी और पीले रंग में मिलती है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन रंगों का भी विशेष महत्व है। जहाँ पीला रंग शुद्धता और कामुकता का प्रतीक है वहीं नारंगी रंग सूर्य, साहस और बलिदान का प्रतीक है।

 7. कुमकुम का पौराणिक महत्व: कुमकुम हल्दी और लेड से मिलकर बना होता है। प्राचीन काल से ही ऐसा माना जाता है कि कुमकुम सेक्स की इच्छा को जागृत करता है। यही कारण है कि विवाहित महिलाएं ही कुमकुम लगाती हैं और कुंवारी तथा विधवा महिलाओं को कुमकुम लगाना मना है।

8. आपके स्वास्थ्य के लिए हल्दी का महत्व: गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से आप आराम महसूस करते हैं। केवल इतना ही नही बल्कि हल्दी वाला दूध एसिडिटी और शरीर के अन्य दर्द को भी दूर करता है। त्वचा पर हल्दी लगाने से त्वचा पर चमक आती है।

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