हाई कोर्ट ने अमृतसर हादसे पर सिद्धू दंपती को दी राहत, जनहित याचिका हुई खारिज

अमृतसर में दशहरे की रावण दहन के दौरान हुए दर्दनाक हादसे में 62 लोगों के ट्रेन से कटकर मारे जाने के मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने जनहित याचिका को पब्लिक स्टंट बताते हुए खारिज किया।

गुड़गांव की एडवोकेट दिनेश कुमार डकोरिया द्वारा दायर की गई  इस याचिका में पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को प्रतिवादी बनाया गया था। चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने सिद्धू व उनकी पत्नी को प्रतिवादी बनाने के उद्देश्य पर नाराजगी जताते याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि किसी भी आयोजन में मेहमान के तौर पर शामिल होने वाले लोगों को वहां हुई किसी दुर्घटना का जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है।

दिनेश कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका को अदालत द्वारा राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित प्रयास बताए जाने पर याचिकाकर्ता ने अदालत से इस याचिका को वापस लिए जाने की अनुमति मांगी, जिस पर हाई कोर्ट ने इसे वापस लिए जाने के आधार पर खारिज कर दिया।

इससे पहले आज सुनवाई के दौरान इस मामले में डॉ. नवजोत कौर सिद्धू की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट डीएस पटवालिया ने इस मामले में नवजोत कौर को प्रतिवादी बनाए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया। कहा कि किसी जनहित याचिका में किसी जनप्रतिनिधि को सीधे तौर पर प्रतिवादियों में शामिल किया जाना इस याचिका से जुड़े राजनीतिक लक्ष्यों की ओर इंगित करता है।

सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुई अनु चतरथ ने याचिकाकर्ता द्वारा इस याचिका में उठाए गए कुछ अवांछित प्रश्नों पर अदालत का ध्यान दिलाते हुए कहा कि मामले में 19 अक्टूबर की शाम को ही एफआइआर दर्ज कर दी गई थी और मजिस्ट्रेट की जांच के भी आदेश दे दिए गए थे।

उन्होंने  अदालत को बताया कि इस मामले में एसआइटी का गठन भी किया जा चुका है जिसका नेतृत्व रेलवे के डीजीपी कर रहे हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि इस दुर्घटना में मारे गए लोगों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है। घायल हुए 70 लोगों में से करीब 43 लोगों का निशुल्क उपचार करवाकर उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दी जा चुकी है।

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