हाईकोर्ट ने किराया अधिनियम के तहत दर्ज एक मुकदमे की आर्डर शीट में फेरबदल करने के मामले में अपर नगर मजिस्ट्रेट कृष्ण पाल तोमर के खिलाफ जांच कर कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि यदि जांच में एसीएम दोषी पाए जाते हैं तो उन पर विभागीय कार्रवाई की जाए। उन पर आरोप है कि उन्होंनेे किरायेदार का पक्ष सुने बिना गलत वल्दियत वाले व्यक्ति के पक्ष में आदेश पारित कर दिया। मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो यहां भी उन्होंने झूठा हलफनामा देकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की।
गलती पकडे़ जाने पर एसीएम ने अदालत से माफी मांगी पर कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच का आदेश पारित कर दिया है। एसीएम द्वारा आठ दिसंबर 2017 को पारित आदेश भी हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। हामिद अली उर्फ मुन्ना की याचिका पर न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी सुनवाई कर रहे हैं। कोर्ट ने डीएम कानपुर को आदेश दिया है कि मुकदमे की सुनवाई किसी अन्य अधिकारी से करवाएं तथा तीन माह में मामले का निस्तारण किया जाए।
याची श्रमिक बस्ती जूही कला कानपुर में जिस मकान में किरायेदार था, वह मकान हामिद लाल को आवंटित किया गया। याची ने इस पर आपत्ति के लिए समय मांगा, मगर उसे समय न देकर मकान एलाट कर दिया। मकान मालिक ने फर्जी दस्तावेज दिए थे। इसका सत्यापन भी नहीं किया गया। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दी और मूल पत्रावली मंगा ली। पत्रावली से पता चला कि चार दिसंबर 2017 को पारित आदेश में फेरबदल किया गया है। इस पर अदालत ने कहा कि एसीएम के खिलाफ क्यों ने सीआरपी 340 (कदाचार का मामला) के तहत मुकदमा दर्ज कराया जाए। हाईकोर्ट ने एसीएम को तलब किया था। खुद को फंसता देख उन्होंने माफी मांगी, मगर कोर्ट ने कहा कि मुकदमे की आर्डर सीट में फेरबदल करना गंभीर मामला है। इसकी जांच होनी चाहिए।