कोर्ट ने केंद्र की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें 13 सितंबर के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। अदालत ने अपने आदेश में सरकार को 18 मरीजों का इलाज जारी रखने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली को 10 करोड़ रुपये जारी करने का निर्देश दिया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना एक आदेश वापस लेने से इन्कार कर दिया। इसमें हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह दुर्लभ रोगों से पीड़ित 18 लोगों के लिए इलाज के लिए एम्स को 10 करोड़ रुपये जारी करे।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने मामले की सुनवाई तीन अक्तूबर तक के लिए स्थगित करते हुए कहा कि 18 रोगी बच्चों का उपचार पहले ही शुरू हो चुका है। ऐसी परिस्थितियों में इनका उपचार रोकना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण और कानून के खिलाफ होगा, क्योंकि इससे उनके सामान्य जीवन और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसलिए तीन कार्य दिवसों में निर्देशानुसार राशि जारी की जाए। ऐसा नहीं करने पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव लता गणपति सुनवाई को अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश होना होगा।
इन बच्चों का पहले ही दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति (एनपीआरडी), 2021 के तहत दवा दी जा चुकी है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि खर्च की गई पूरी धनराशि के लिए एम्स पूरी तरह जवाबदेह है, इसलिए केंद्र को यह धनराशि एम्स को देने का निर्देश दिया जा रहा है।
अपनी याचिका में केंद्र ने कहा था कि एम्स को दी जाने वाली बजटीय राशि पहले ही समाप्त हो चुकी है तथा अन्य उत्कृष्ट स्वास्थ्य केंद्र भी हैं, जिन्होंने धनराशि जारी करने का अनुरोध किया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि समय-समय पर उसने माना है कि एम्स, दिल्ली प्रमुख उत्कृष्टता केंद्रों में से एक है, जो दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित रोगियों का सक्रिय रूप से उपचार कर रहा है। केंद्र के वकील ने कहा कि आवंटित 34 करोड़ रुपये की राशि में से एम्स ने अब तक केवल 9 करोड़ रुपये ही खर्च किए हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश हुई एम्स की डॉ. मधुलिका काबरा ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए दवाओं की खरीद पर खर्च की जाने वाली कुल राशि दवाओं की खरीद के बाद ही पता चल पाएगी।
स्पाइसजेट से विमान इंजन वापस करने के मामले में पट्टादाताओं की याचिका पर मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को किफायती एयरलाइन स्पाइसजेट से उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें उससे विमान के तीन इंजन बंद करने और उन्हें पट्टादाताओं को सौंपने के आदेश के निष्पादन की मांग की गई है। अदालत ने एयरलाइन से अपनी संपत्तियों की सूची के साथ हलफनामा दाखिल करने को भी कहा।
निष्पादन याचिका पर अगली सुनवाई 13 नवंबर को तय की। न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को भी एक नोटिस जारी किया, जिसमें उसके सक्षम अधिकारी को 13 नवंबर को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है। साथ ही अदालत के 14 अगस्त के आदेश के अनुपालन की पुष्टि करने वाली स्थिति रिपोर्ट भी पेश करने को कहा गया है। हाईकोर्ट ने 14 अगस्त के अपने आदेश में स्पाइसजेट को 16 अगस्त तक विमान के तीनों इंजन बंद करने और 15 दिनों के भीतर उन्हें पट्टेदारों को सौंपने का निर्देश दिया था।