हांगकांग में रहने वाले लोगों को बीएनओ के जरिए ब्रिटिश नागरिकता देने को लेकर चीन आग बबूला हो गया है। एशिया टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन से नाराज चीन इसको लेकर मार्च में जवाबी कदम उठाने पर विचार कर रहा है। ब्रिटिश नेशनल ओवरसीज पासपोर्ट योजना के तहत ब्रिटिश नागरिकता रखने पर हांगकांग के निवासियों को अब इस बात को घोषित करना पड़ेगा।
विश्लेषकों का कहना है कि बीजिंग बीएनओ पासपोर्ट धारकों की चीनी नागरिकता और हांगकांग के स्थायी निवास को छीन सकता है। 29 जनवरी को चीन ने कहा था कि वह 31 जनवरी से हांगकांग के लोगों के लिए वैध यात्रा और पहचान पत्र दस्तावेज के रूप में बीएनओ की मान्यता नहीं देता। इसके अलावा उसने यूके की नागरिकता योजना के खिलाफ और कदम उठाने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखेगा।
ब्रिटेन का कहना है कि चीन ने हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करके शर्तो का उल्लंघन किया है। शर्तो के तहत ही करीब 23 साल पहले 1997 में हांगकांग को चीनी अधिकारियों को सौंपा गया था। ब्रिटेन ने पिछले साल जुलाई में हांगकांग के लोगों के लिए नागरिकते देने की योजना का खुलासा किया था।
बीजिंग के बीहांग यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर और हांगकांग और मकाऊ स्टडीज़ के चीनी एसोसिएशन के निदेशक तियान फ़िलॉन्ग ने बुधवार को टीवीबी के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि अगर जरूरत पड़ी को स्थायी समिति मार्च में दूसरी बार चीन के राष्ट्रीयता कानून की व्याख्या करेगी। तियान ने कहा कि अगर बीएनओ वीजा आवेदकों की संख्या इस महीने 20,000 से 30,000 तक पहुंच जाती है, तो मुझे लगता है कि यह एक खतरनाक स्तर होगा।
उन्होंने कहा, ‘बीएनओ धारकों को ब्रिटिश नागरिकता प्रदान किए जाने के बाद हांगकांग में उनके स्थायी निवास, मतदान के अधिकार और सामाजिक लाभ को छीन लिया जाना चाहिए। राष्ट्रीयता कानून की पुनर्व्याख्या के बाद हांगकांग सरकार को अपने स्थानीय चुनाव और सामाजिक लाभ नियमों में संशोधन करना होगा।’
एशिया टाइम्स के अनुसार, 2016 में अंतिम जनगणना में हांगकांग में लगभग 36,000 भारतीय, 18,000 पाकिस्तानी और 25,000 नेपाली थे। इनमें से कई लोग विदेशी या हांगकांग एसएआर पासपोर्ट रखते हैं। इमिग्रेशन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2009 और 2018 के बीच हांगकांग में चीनी राष्ट्रीयता के लिए 14,645 गैर-चीनी लोगों ने आवेदन किया। आवेदन करने वाले लोगों में केवल 75 फीसदी सफल हुए।