हल्द्वानी में हिंसा करने वाले उपद्रवियों को पकड़ने के लिए पुलिस ने पश्चिमी यूपी में डेरा डाला हुआ है। पुलिस को कई इनपुट मिले हैं। बरेली ले जाते समय हुई उपद्रवी के मौत की पुष्टि नहीं हो सकी।
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुए उपद्रव के बाद जिस घायल युवक को बरेली ले जाया गया था रास्ते में उसकी मौत हो गई थी। इस मामले की अभी पुष्टि नहीं हुई है। पश्चिमी यूपी, बरेली से हिंसा के तार जुड़े हो सकते हैं। पुलिस के हाथ कुछ सटीक जानकारी लगी है।
कई उपद्रवियों के राज्य से बाहर जाने की सूचना भी पुलिस के पास है। इसके चलते बरेली और पश्चिमी यूपी पुलिस टीम भेजी गई है। उपद्रव के तीसरे दिन भी बनभूलपुरा में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की सख्ती को और भी बढ़ा दिया गया है।
सीएम से लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी का दौरा होने के बाद बनभूलपुरा में फोर्स की सक्रियता और संख्या दोनों में बढ़ोतरी की गई है। बृहस्पतिवार को जहां पीएसी और पुलिसफोर्स के जवानों ने उपद्रव का सामना किया। वहीं शुक्रवार को आईटीबीपी और शनिवार को क्षेत्र में सुरक्षा घेरे को पुख्ता करते हुए एसएसबी के जवानों को भी तैनात कर दिया गया है।
उधर, उपद्रवियों के तार बाहर से जुड़े होने के कुछ सबूत मिलने के बाद पुलिस की टीमें पश्चिमी यूपी रवाना हो गईं हैं। पुलिस यह पता लगा रही हैं कि पेट्रोल बम बनाने वाले कहीं बाहर के तो नहीं थे। इसके अलावा भी पुलिस कई पहलुओं की जांच कर रही है। एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा ने बताया कि हर एंगल से जांच की जा रही है। जल्द ही पुलिस खुलासा करेगी।
हत्थे चढ़ा महबूब आलम, भाजपा ने कहा- पार्टी में सक्रिय नहीं
पुलिस ने बनभूलपुरा हिंसा मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें निवर्तमान पार्षद महबूब आलम भी हत्थे चढ़ा है। महबूब को भाजपा नेता बताया जाता है, लेकिन इसका नाम आने के बाद पार्टी के नेता उसके संगठन में सक्रियता न होने की बात कह रहे हैं, जबकि महबूब आलम की सोशल मीडिया पर भाजपा नेताओं से जुड़ी कई तस्वीर हैं।
इस बारे में भाजपा जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट का कहना है कि जब से वह पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं, उनके समय में महबूब आलम पार्टी में सक्रिय नहीं दिखा। उनके पास संगठन का कोई दायित्व नहीं है। इससे पूर्व के जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट का कहना है कि जब डीपीसी के चुनाव हुए थे, तब उन्होंने पार्टी को समर्थन किया था, उस वक्त पार्टी के साथ आए थे। पर उनके पास कोई दायित्व नहीं था। वे करीब दो साल से पार्टी में सक्रिय भी नहीं थे।
चूक : हिंसा के आरोपियों को अस्पताल से पैदल ले गए पुलिसकर्मी
बनभूलपुरा में पथराव और आगजनी की घटना के बाद पुलिस ने चार लोगों को मेडिकल के लिए बेस अस्पताल लेकर पहुंची। मगर संवेदनशील मामले के बावजूद शनिवार को सिर्फ चंद पुलिसकर्मियों के साथ चारों को बेस अस्पताल से कोतवाली तक पैदल ले जाया गया। इससे सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हुए।
बनभूलपुरा हिंसा मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनका शनिवार को बेस अस्पताल में मेडिकल कराया जाना था। चारों आरोपियों को कोतवाली में रखा गया था। यहां से कोतवाल सहित कुछ पुलिस कर्मी आरोपियों को लेकर बेस अस्पताल पहुंचे।
मेडिकल कराने के बाद चारों को हथकड़ी लगाकर पैदल की बेस अस्पताल से कोतवाली के लिए ले जाया गया, जबकि पुलिस आपराधिक मामले में पकड़े जाने वाले आरोपियों या संदिग्धों को हमेशा वाहनों में लेकर जाती है। बनभूलपुरा मामला संवेदनशील होने के बावजूद पुलिसकर्मी चारों आरोपियों को पैदल की अस्पताल से 30 मीटर दूर कोतवाली तक लेकर गए।
इस दौरान रास्ते में कुछ लोग उनकी फोटो भी खींचने की कोशिश करने लगे। जिस पर मास्क, मफलर आदि से आरोपियों के चेहरे को ढका गया। चौंकाने वाली बात यह थी चारों को कोतवाली लाते समय महज चार पुलिसकर्मी ही साथ थे, जबकि अस्पताल गए शेष पुलिसकर्मी वहीं रुक गए। इससे चारों की सुरक्षा को लेकर पुलिस की संजीदगी पर भी सवाल खड़े होने लगे।