हर किसी की जिंदगी में शिक्षक की एक अहम भूमिका होती है। वह एक शिक्षक ही होता है, जो न केवल आपके करियर को संवारता है बल्कि आपके जिंदगी जीने का गुर भी सिखाता है। ऐसे ही अध्यापक के प्रति सम्मान और प्यार जाहिर करने के लिए हर साल 5 सितंबर को देश भर में बड़ी धूमधाम से शिक्षक दिवस मनाया जाता है।
इस साल भी टीचर्स डे आने में बस कुछ दिन का ही वक्त रह गया है। मसलन आज से एक दिन बाद यानी कि शनिवार को टीचर्स डे सेलिब्रेट किया जाएगा। लेकिन इस बार का तरीका थोड़ा अलग रहेगा।
दरअसल जहां हर साल इस दिन पर टीचर्स के सम्मान में तरह-तरह के प्रोगाम में आयोजित किए जाते हैं। वहीं इस बार देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने की वजह से स्कूल-कॉलेज बंद होने से कोई प्रोगाम तो नहीं हो पाएंगे।
लेकिन हां हर स्टूडेंट्स ने अपने प्रिय शिक्षक के प्रति प्यार प्रकट करने के लिए कई अन्य उपाय ढूंढ रहे होंगे। वहीं इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर 5 सितंबर को ही शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है।
भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्मदिवस पर इस दिन को मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था।
वहीं उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के बारे में मनाये जाने के पीछे कहा जाता है कि एक बार उनके कुछ स्टूडेंट्स ने कहा कि वह 5 सितंबर के दिन उनका जन्मदिन मनाना चाहता हैं तो, उन्होंने कहा था कि मेरा जन्मदिन अलग से मनाने के बजाए मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो मुझे गर्व महसूस होगा।
बस इसके बाद से ही डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr Sarvepalli Radhakrishnan) के जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा था।