हरियाली तीज में मथुरा में श्री कृष्ण को लगता है विशेष भोग,

हरियाली तीज : हिन्दू धर्म की महिलाएं इस त्यौहार के दिन विशेष रूप से सजती संवरती है और इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार से श्रंगारित रहती है। दशभर में महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए हरियाली तीज का व्रत रखती है। हरियाले तीज के दिन मथुरा में भी विशेष रौनक देखने को मिलती है।

श्री कृष्ण की नगरी वृंदावन में इस त्यौहार की बड़ी धूम देखने को मिलती है। हरियाली तीज के दिन ही वृंदावन में श्री कृष्ण को रात के समय सोने-चांदी के गंगा-जमुनी भव्य हिंडोले में झूलाया जाता है। मथुरा में श्रीकृष्ण की घटाएं काफी विख्यात है। कहा जाता है कि जिस तरह की घटाएं होती है बांके बिहारी का श्रृंगार भी उसी तरह का होता है। यहां किसी दिन गुलाबी, किसी दिन हरी तो किसी दिन काली घटा होती है। इन सबमें काली घटा बेहद प्रसिद्द और प्रचलित है। विशेष बात यह है कि जिस तरह की घटा होती है, भगवन श्री कृष्ण का श्रृंगार भी उसी रंग का होता है। इनमे पर्दे, हिंडोले श्री कृष्ण के वस्त्र सभी का रंग एक सरीखा ही होता है। मथुरा में इस दिन भगवान श्री कृष्ण को मालपुओं का भोग लगाया जाता है।

क्यों मनाते हैं हरियाली तीज ?

एक पौराणिक कथा बेहद प्रचलित है कि एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पिछले जन्मों के बारे में बताया था। शिव जी ने माता से कहा था कि तुमने मुझे पाने के लिए कुल 108 जन्म लिए थे। जहां 108 वें जन्म में तुम पर्वतराज हिमालय के घर अवतरित हुई।  मुझे पाने के लिए तुम सदा मेरी भक्ति में डूबी रहती थी, अन्न-जल का त्याग कर तुम बस पत्तों पर जीवित रही। शिव जी ने आगे माता पार्वती से कहा कि तुम्हारी कड़ी तपस्या और भक्ति से मैं अति प्रसन्न हो गया और फिर तुम्हें पत्नी रूप में मैंने स्वीकार कर लिया। बता दें कि जिस दिन तीनों लोकों के स्वामी भगवन शिव ने माता पार्वती को यह कथा सुनाई थी, उस दिन हरियाली तीज थी। सुहागिन और कुंवारी कन्याएं इस त्यौहार को मनाती है।

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