हरियाणा: राजभवन के अगले कदम के इंतजार में कांग्रेस

हरियाणा कांग्रेस फिलहाल राजभवन के अगले कदम के इंतजार में है। राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय 15 मई को शहर लौटेंगे। राज्यपाल बहुमत साबित करने के लिए कितना समय देते हैं यह उन पर निर्भर करेगा। यदि राज्यपाल ने कोई कदम नहीं उठाया तो कांग्रेस अगली रणनीति पर काम करेगी।

हरियाणा में सियासी तपिश बरकरार है। राज्य की मौजूदा सैनी सरकार को बर्खास्त करने संबंधी ज्ञापन राज्यपाल को सौंपने के बाद कांग्रेस फिलहाल राजभवन के अगले कदम के इंतजार में है। कांग्रेस ने अपनी गेंद राज्यपाल के पाले में डाल रखी है। कांग्रेस को उम्मीद है कि उनके ज्ञापन पर संज्ञान जरूर लिया जाएगा। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय फिलहाल शहर से बाहर हैं। वह 15 मई को शहर लौटेंगे। कांग्रेस तब तक राज्यपाल के रुख का इंतजार करेगी। यदि राज्यपाल ने कोई कदम नहीं उठाया तो कांग्रेस अगली रणनीति पर काम करेगी। यदि राजभवन की ओर से देरी की गई तो

कांग्रेस के पास हाईकोर्ट जाने का विकल्प होगा।
सदन के उपनेता व कांग्रेस आफताब अहमद ने बताया, ज्ञापन राज्यपाल के पास पहुंच गया है। अब उन्हें ही ज्ञापन पर संज्ञान लेना है। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक दो दिन में बैठक कर अपनी अगली रणनीति तय करेगा। उन्होंने कहा- पानी की तरह साफ है कि भाजपा सरकार अल्मत में है। उनके पास बहुमत नहीं है। सीएम सैनी को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। हमारी स्पष्ट मांग है कि राज्यपाल अल्पमत की सरकार को बर्खास्त करे। अगर वे ऐसा नहीं करते है तो विधानसभा सत्र बुलाया जाए और सरकार बहुमत साबित करने के निर्देश दिए जाएं। वहीं, भाजपा, जजपा और कांग्रेस के बीच बयानबाजी शनिवार को भी जारी रही। जजपा ने कांग्रेस को घेरा तो भाजपा ने जजपा को।

राज्यपाल दे सकते हैं बहुमत साबित करने का निर्देश
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि राज्य सरकार के संवैधानिक संकट के समय राज्यपाल की भूमिका अहम होती है। कांग्रेस के ज्ञापन पर राज्यपाल को ही निर्णय लेना है। वह सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश दे सकते हैं। राज्यपाल बहुमत साबित करने के लिए कितना समय देते हैं यह उन पर निर्भर करेगा।

उन्होंने बताया, 1982 में तत्कालीन राज्यपाल ने तत्कालीन सीएम भजनलाल को बहुमत साबित करने के लिए पूरे एक महीने का वक्त दिया था। उन्होंने कहा-यदि राज्यपाल ऐसा नहीं करते हैं तो कांग्रेस या विपक्षी दल अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है। उन्होंने यह भी बताया, जरूरी नहीं है कि कोई राजनीतिक दल हाईकोर्ट जाए। यदि राज्य के किसी व्यक्ति को लगता है कि राज्य सरकार अल्मत में है तो वह भी हाईकोर्ट जा सकता है।

भाजपा के 40 में 39 विधायक दे सकते हैं वोट
यदि विश्वास मत हासिल करने की नौबत आती है तो भाजपा के 40 विधायकों में से 39 ही वोट दे सकते हैं। मत बराबर होने की स्थिति में ही विधानसभा अध्यक्ष को निर्णायक वोट डालने का अधिकार है। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को मिलाकर भाजपा के पास 40 विधायक हैं। हेमंत कुमार ने बताया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 189 (1) के अनुसार विधानसभा स्पीकर केवल सदन में किसी प्रस्ताव पर मत बराबर होने की परिस्थिति में ही अपना निर्णायक मत दे सकता हैं। उन्होंने कहा-सरकार का बहुमत या अल्पमत में होना केवल सदन के भीतर ही साबित किया जा सकता है। राजभवन या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर विधायकों की परेड करा कर नहीं।

…तब तक बने रह सकते हैं सीएम सैनी
वहीं, अगर सरकार की ओर से विधानसभा को समय पूर्व भंग करने की भी सिफारिश की जाती है तो चुनाव आयोग विधानसभा भंग होने की तारीख से अधिकतम छह महीने के भीतर विधानसभा चुनाव करवा सकता है। तब तक नायब सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। इससे पहले अगस्त 2009 से अक्तूबर 2009 तक भूपेंद्र हुड्डा और दिसंबर 1999 से फरवरी 2000 तक ओमप्रकाश चौटाला तत्कालीन हरियाणा विधानसभा को समय पूर्व भंग करा कर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहे थे।

ईडी-सीबीआई के डर से हुड्डा सरकार गिराना ही नहीं चाहते : दिग्विजय चौटाला
जननायक जनता पार्टी के प्रधान महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा-जजपा ने 2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सरकार बनाने का न्यौता दिया था, जिसके वह स्वयंगवाह है, मगर ईडी सीबीआई के डर से तब भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार बनाने के लिए कोई कदम नहीं बढ़ाया। उन्होंने कहा की जनता के लिए जेल तक जाने की कुर्बानी देना हर किसी के बस की बात नहीं होती। ईडी-सीबीआई के डर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा सरकार गिराना ही नहीं चाहते।

जजपा से जन और नायक दोनों ही गायब हो चुके हैं : सुभाष बराला
राज्यसभा सांसद सुभाष बराला ने कहा कि जजपा से जन और नायक दोनों ही गायब हो चुके हैं। जजपा पर तंज कसते हुए जजपा में सिर्फ परिवार बचा है। जिस प्रकार से जजपा की अंदरूनी खबरें आ रही है उससे पार्टी की कलई खुल रही है। जिस प्रकार के लोगों को लेकर आनन-फानन में जजपा पार्टी बनाई और अब पार्टी के सर्वेसर्वा ही जजपा को छोड़कर भाग रहे हैं। जजपा के विधायक भाग रहे हैं।

दो बार हारे थे, जजपा ने बनाया मंत्री लालच में अंधे हो गए हैं बबली : ढांडा
जुलाना से जजपा विधायक अमरजीत ढांडा ने बागी विधायक देवेंद्र बबली पर निशाना साधते हुए कहा-दो बार विधानसभा का चुनाव हार चुके देवेंद्र बबली को जजपा ने टिकट दिया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें पहली बार विधानसभा तक पहुंचाया। कैबिनेट मंत्री का ओहदा दिलवाया और पंचायत विभाग जैसा अहम महकमा दिया। मगर आज वह किसी बड़े लालच में अपनी निष्ठा और विचारधारा बदल रहे हैं जो ऐसे व्यक्ति को शोभा नहीं देता। देवेंद्र बबली राजनीतिक लालच में अंधे हो गए हैं और मानसिक संतुलन खो रहे हैं। उन्होंने कहा-साढ़े चार साल में जेजेपी के विधायक होते हुए देवेंद्र बबली ने ना कभी पार्टी का कोई आयोजन करवाया और ना ही किसी नए व्यक्ति को जेजेपी में शामिल करवाया।

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