राज्य के पूर्व सीएम मनोहर लाल ने दो साल पहले करनाल में भगवान श्री परशुराम महाकुंभ के कार्यक्रम में पुजारी व पुरोहित कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा की थी, ताकि उन्हें एक निश्चित न्यूनतम तय किया जा सके।
हरियाणा सरकार ने सभी धर्म गुरुओं के उत्थान और उनके समग्र कल्याण के उद्देश्य से हरियाणा अर्चक पुजारी और अन्य नियुक्त धार्मिक पेशेवर कल्याण बोर्ड (एचएपीडब्ल्यूबी) का गठन किया है।
इसका मुख्य उद्देश्य धार्मिक गुरुओं की आर्थिक स्थिति का व्यापक विश्लेषण कर उनकी सेवाओं के अनुसार न्यूनतम वेतन की सिफारिश करना है। इसके साथ धर्म गुरुओं के पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन के लिए अनुकूल और सहायक वातावरण सुनिश्चित करना भी बोर्ड के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है।
राज्य के पूर्व सीएम मनोहर लाल ने दो साल पहले करनाल में भगवान श्री परशुराम महाकुंभ के कार्यक्रम में पुजारी व पुरोहित कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा की थी, ताकि उन्हें एक निश्चित न्यूनतम तय किया जा सके। इस घोषणा के दो साल बाद भाषा एवं संस्कृति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव वी उमाशंकर की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है।
इसके तहत बोर्ड धार्मिक गुरुओं की मौजूदा आर्थिक स्थिति, उनके जीवनयापन की लागत का विश्लेषण करेगा, ताकि उनके जीवनयापन के अनुरूप न्यूनतम राशि दी जा सके। अधिसूचना के मुताबिक धार्मिक गुरुओं का वेतन उनकी ओर से प्रदान की जा रही बहुमूल्य सेवाओं के अनुरूप होगा, ताकि उनकी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित हो सके। इस बोर्ड के अध्यक्ष राज्य के मुख्यमंत्री होंगे। अध्यक्ष के तौर पर वह बोर्ड के उपाध्यक्ष का चयन करेंगे और इसके अलावा छह पदेन सदस्य होंगे, जिनमें मुख्य सचिव व कला एवं सांस्कृतिक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव व निदेशक शामिल होंगे। पांच गैर सरकारी सदस्य भी बोर्ड में शामिल होंगे।
धर्म गुरुओं की इन सुविधाओं पर भी गौर करेगा बोर्ड
बोर्ड धार्मिक गुरुओं, उनके परिजनों व आश्रितों को कई सुविधाएं देने की पहल कर सकता है। इनमें धार्मिक गुरुओं और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना, छात्रवृत्ति, व्यावसायिक प्रशिक्षण और अनुदान शुरू करना, उनकी आवास आवश्यकताओं को पूरा करने और कौशल विकास के लिए कौशल पहल शामिल हैं।
इसके अलावा बोर्ड पेंशन योजना, आपातकालीन स्थितियों या बच्चों की शादी जैसे आयोजनों के दौरान वित्तीय सहायता, धार्मिक संगोष्ठियों का आयोजन, परामर्श सेवाएं व धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के स्थानों की यात्रा की व्यवस्था शामिल है।
पहले पुजारियों के लिए की थी घोषणा, अब भी धर्मों के गुरु शामिल
सरकार ने जब यह घोषणा की थी तो उस समय सिर्फ हिंदू धर्म के पुजारियों व पुरोहितों की बात हुई थी, मगर अब सरकार ने सभी धर्मों के गुरुओं को बोर्ड के दायरे में ला दिया है। इनमें हिंदू धर्म में पंडित, पुजारी और पुरोहित, इस्लाम में इमाम और मौलवी, सिख धर्म में ग्रंथी, बौद्ध धर्म में भिक्षु, लामा और नन, जैन धर्म में साधु, साध्वी और भिक्षु, ईसाई धर्म में पुजारी व पादरी को शामिल किया गया है।
इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जो विशिष्ट धार्मिक जिम्मेदारियां निभाते हैं या अनुष्ठान करते हैं या फिर धार्मिक समारोह व सेवाओं के लिए अपने धार्मिक संस्थानों द्वारा विधिवत अधिकृत होते हैं, इन सभी बोर्ड के दायरे में माना जाएगा।