हरियाणा के सीएम सैनी ने हर विधायक के पूछे गए सवाल का जवाब विस्तार से दिया। यदि किसी विधायक ने बस अड्डे का भी सवाल पूछा था तो उसका भी उन्होंने सदन में जवाब दिया। वहीं, विपक्ष कुछ मुद्दों पर सरकार को बैकफुट पर लाने में कामयाब रही, मगर सैनी ने भुनाने का मौका नहीं दिया।
15वीं विधानसभा का बजट सत्र इस बार कुछ हटकर रहा है। करीब 58 घंटे तक चली कार्यवाही में विपक्ष ने कई मुद्दों पर हरियाणा सरकार को घेरने की कोशिश की, मगर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बड़ी चतुराई से विपक्ष की धार को कुंद कर दिया। सदन में चर्चाओं के दौरान उन्होंने अपनी सरकार को बैकफुट पर आने नहीं दिया। किसी भी विधायक का जवाब उन्होंने न तो झल्लाते हुए दिया और न ही गुस्से से। अपनी तीखी अलोचना नम्रता से स्वीकार किया और मुस्कुराते रहे।
सैनी ने अपने पहले ही बजट में महिलाओं को 21 सौ रुपये देने के लिए पांच हजार करोड़ के बजट का प्रावधान का साहस भी दिखाया है, जबकि पड़ोसी राज्य हिमाचल व पंजाब अपनी तीसरे व चौथे बजट में ऐसी योजनाओं की व्यवस्था करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं। सैनी चाहते तो वे भी अगले या आखिरी बजट में इसकी घोषणा कर सकते थे। इससे उनके सरकार की घोषणाओं के प्रति प्रतिबद्धता भी दिखती है।
सदन में इस बार विपक्ष ने कई ऐसे मुद्दे उठाए, जो प्रासंगिक होने के साथ आम लोगों से भी जुड़े थे। कांग्रेस व इनेलो के विधायकों ने सदन में नशा, प्रदूषण, डंकी रूट, पानी गुणवत्ता, कैंसर, स्कूलों में शिक्षकों की कमी, अस्पतालों में उपकरणों की कमी, एमबीबीएस परीक्षा धांधली, छात्रवृत्ति और किसानों से जुड़े मुद्दे उठाए। विपक्ष इन मुद्दों को उठाने से पीछे नहीं हटा। उधर, सरकार ने इन सभी मुद्दों का विस्तार से जवाब दिया। मुद्दों से जुड़े कोई डाटा भी नहीं छिपाया। यहां तक नशे, डंकी रूट जैसे मुद्दों का हल निकालने के लिए पार्टी लाइन से हटकर विपक्ष को अपने साथ लाने में कामयाब रहा।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का यह पहला बजट था। अपने बजट को समझने के लिए वे सत्र को छोटा कर सकते थे, मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। नगर निगम चुनाव में व्यस्त होने के बावजूद वह कम समय में बजट की बारीकियों को समझने में कामयाब रहे। कर्ज, राजस्व घाटा व पूंजीगत व्यय जैसे उलझाने वाले मुद्दों पर भी उन्होंने विपक्ष को शांत कर दिया। बजट अभिभाषण पर जब वह जवाब देने आए तो उनके माथे पर तिलक लगा था। इससे जाहिर था वह दिन उनके लिए कितना महत्वपूर्ण था और उसके लिए वह पूरी तैयारी करके आए थे।
अपने ऊपर हुए हमलों का शालीनता से दिया जवाब
बजट अभिभाषण पर जब पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन पर तंज कसते हुए कहा कि गुरु गुड़ और चेला शक्कर हो गया। इस पर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि मनोहर लाल ने तो पूरे हरियाणा की तस्वीर बदल दी। कई बार रघुबीर कादियान ने भी उनकी आलोचना की, लेकिन उन्हें दादा कहकर उनके तंज का कोई टेढ़ा जवाब नहीं दिया। हालांकि जब बीबी बत्रा ने यह कहा कि आपको जिस अधिकारी ने भाषण लिखकर दिया है तो इस पर वे थोड़ा गुस्सा हो गए थे। उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि गीता भुक्कल जब उनसे मिलने आई थी तो उस दौरान मैं अपना भाषण लिख रहा था।
हर विधायक का दिया जवाब, पीर बोधी पर विपक्ष की जीत पर मौका नहीं दिया
सैनी ने हर विधायक के पूछे गए सवाल का जवाब विस्तार से दिया। यदि किसी विधायक ने बस अड्डे का भी सवाल पूछा था तो उसका भी उन्होंने सदन में जवाब दिया। वहीं, विपक्ष कुछ मुद्दों पर सरकार को बैकफुट पर लाने में कामयाब रही, मगर सैनी ने भुनाने का मौका नहीं दिया। रोहतक में पीर बोधी पर अतिक्रमण के मुद्दे पर सरकार ने पहले मना कर दिया था कि वहां पर कोई जोहड़ नहीं बना था।
जबकि विपक्ष कह रह था कि जोहड़ था। बाद में सरकार मान गई थी कि वहां जोहड़ा था। विपक्ष चाहती तो इस मुद्दे पर अपनी जीत भुना सकती थी। वहीं, 2009 में हुई इंस्पेक्टर भर्ती व दादूपुर नलवी के मुद़्दे पर भी सरकार ने उल्टा विपक्ष को घेर दिया। हाईकोर्ट ने कोई भर्ती रद्द नहीं की। यानी जो सलेक्शन हुए थे, उन्हें हाईकोर्ट की ओर से जस्टीफाई भी कर दिया गया। मगर सैनी ने सदन में इस मुद्दे पर विपक्ष को चक्रव्यूह में ऐसे फंसाया कि विपक्ष धराशायी हो गया।
कांग्रेस विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष की कमी महसूस नहीं होने दी
सदन में नेता प्रतिपक्ष नहीं है। इससे माना जा रहा था कि विपक्ष कमजोर पड़ जाएगा। मगर कांग्रेस विधायकों को ऐसी कोई कमी खली नहीं। वे अपने मुद्दे को उठाने में कामयाब रहे हैं। वहीं, भूपेंद्र सिंह हुड्डा जब भी सदन में बोलने के लिए खड़े हुए, उन्हें किसी ने न तो रोका और न ही टोका। किसी भी कांग्रेस विधायक को जब भी कोई राय लेनी होती थी तो वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा से ही लेते थे। वॉकआउट जैसे मुद्दों पर कांग्रेस विधायक एकजुट दिखे। वहीं, खुद सीएम सैनी भी उन्हें विपक्ष के नेता के तौर पर संबोधित करते रहे।