सर्दी के मौसम में धूप नहीं निकलने के कारण गेहूं की फसल खराब होने लगी है। गेहूं का पौधा पीला पड़ने लगा है। जिसके कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है। वहीं, मौसम विभाग ने 31 जनवरी से तीन फरवरी तक बूंदाबांदी होने की संभावना जताई है।
गेहूं की फसल में पीलापन बढ़ता ही जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह धूप न निकलना है। जनवरी में दो-तीन दिनों को छोड़ दें तो पूरा माह धूप नहीं निकली। इससे गेहूं के पौधे को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिले और गेहूं की फसल पीलेपन का शिकार हो गई।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल फसल में जो पीलापन आया है उससे दो से चार प्रतिशत तक पैदावार प्रभावित होने का अनुमान है। वहीं दो-तीन दिनों से धूप निकलने से मौसम में जो बदलाव आया है उसे गेहूं की फसल के लिए लाभकारी माना जा रहा है। यमुनानगर में 88 हजार हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई है।
अधिक ठंड का होना गेहूं के लिए लाभकारी रहता है। साथ ही ठंड में धूप निकलना भी जरूरी है। इस बार जनवरी में धूप ही नहीं निकली। इससे ठंड ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। धूप न निकलना गेहूं के लिए हानिकारक साबित हुआ। किसानों ने जरूरी पोषक तत्व खेत में तो डाले, लेकिन धूप न निकलने की वजह से पौधा उन्हें ग्रहण नहीं कर पाया। पीलापन आने से पौधा सूखने भी लगता है।
अब कृषि वैज्ञानिकों की सारी नजर मार्च महीने में होने वाले तापमान पर लगी है। यदि तापमान बहुत ज्यादा बढ़ा तो पैदावार में गिरावट आना तय है। वर्ष 2022 में मार्च महीने में तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था, जिससे पैदावार में 15 प्रतिशत से अधिक की कमी आई थी।
कृषि विज्ञान केंद्र दामला के समन्वयक डॉ. संदीप रावल का कहना है मार्च में यदि तापमान 30 डिग्री तक रहा तो वह गेहूं के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी रहेगा। 35 डिग्री तक तापमान भी फसल झेल जाएगी। परंतु तापमान यदि 35 से 38 डिग्री के बीच पहुंचा तो विपरीत असर पड़ेगा। अधिक तापमान होने से गेहूं के पौधे की अवति कम हो जाती है। समय से पहले फसल पकने से दाना पिचक जाता है। संवाद
गेहूं में पानी न देने की सलाह
मौसम विभाग ने 31 जनवरी से तीन फरवरी तक बूंदाबांदी होने की संभावना जताई है। यह बूंदाबांदी गेहूं के लिए लाभकारी रहेगी। बारिश से फसल को नमी मिल जाती है. जिससे पौधे में बढ़ोतरी होगी। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वह फिलहाल गेहूं की फसल में पानी से सिंचाई न करें। क्योंकि सिंचाई के दौरान यदि तेज बारिश हो जाती है तो गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है।
किसान फसल की निगरानी करें : संदीप रावल
केवीके दामला के समन्वयक डॉ. संदीप रावल का कहना है कि फिलहाल जिले में कहीं गेहूं की फसल में पीला रतुआ आने के लक्षण नहीं मिले हैं। धूप निकलने से पीलापन दूर हो जाएगा। फिलहाल किसान फसल पर निगरानी रखें। यदि पीला रतुआ के लक्षण दिखें तो तुरंत सूचना दें।