हरियाणा: गन्ने की अनधिकृत किस्में लगा रहे किसान

कई बार किसानों के दल स्वयं भी देश के विभिन्न हिस्सों में आते-जाते हैं। वहां से वे अपने साथ एक दो या पांच गन्ने ले आते हैं। बिना किसी वैज्ञानिक सलाह के उसी गन्ने से किसान बीज बना लेते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसी किस्में जल्द ही विभिन्न बीमारियों का शिकार हो जाती हैं।

खेतों में गन्नाें की कई ऐसी किस्में लहलहा रही हैं, जिन्हें न तो किसी अधिकृत संस्थान ने तैयार किया और न ही उन्हें विधिवत तरीके से जारी किया गया है। जिसे देखकर अनुसंधानकर्ता वैज्ञानिक भी हैरान हैं। ये बात क्षेत्रीय केंद्र गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल में आयोजित वैज्ञानिक-हितधारक संवाद में उठी तो इस पर चिंता जाहिर की गई। इस पर वैज्ञानिकों ने आशंका जाहिर की है कि इससे भविष्य में गन्ने की फसल को भारी नुकसान हो सकता है। इसके लिए किसानों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है।

वैज्ञानिक-हितधारक संवाद के दौरान कुछ किसानों ने अपनी बात रखते हुए कहा कि गन्ने की कुछ किस्में ऐसी हैं जो किसी भी संस्थान से अधिकृत नहीं हैं मगर किसान उन किस्मों को लगा रहे हैं। इनमें सीओ-15025 व सीओ-15027 किस्म शामिल है। ये किस्में कोयंबटूर संस्थान में ईजाद तो हुई मगर इसे अधिकृत नहीं किया गया। कई किसानों ने इन किस्मों के बीज तक बनाने शुरू कर दिए।

इसकी शिकायत अन्य किसानों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) व हरियाणा सरकार से भी की। इस पर गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. बख्शीराम ने बताया कि इन किस्मों को संस्थान ने ईजाद तो किया मगर अभी दोनों किस्मों का जब टेस्ट किया गया तो उनमें कुछ बीमारियों के लक्षण पाए गए। इसके अलावा भी इन किस्मों में कुछ कमियां थी। ये दोनों किस्मों किसानों के हित में नहीं थी, इसलिए इन्हें रिलीज नहीं किया गया था।

इसी तरह बीएसआई 8005, महाराष्ट्र की 10001, सीओ-11015, सीओ-86032, सीओ-219 आदि किस्में भी सभी क्षेत्रों के लिए अधिकृत नहीं हैं मगर गन्ने की ये किस्में खेतों में लहलहा रही हैं। इसे लेकर ज्ञानिक भी हैरान है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कई बार सरकार भी प्रगतिशील किसानों को विभिन्न संस्थानों में टूर पर भेजती है।

कई बार किसानों के दल स्वयं भी देश के विभिन्न हिस्सों में आते-जाते हैं। वहां से वे अपने साथ एक दो या पांच गन्ने ले आते हैं। बिना किसी वैज्ञानिक सलाह के उसी गन्ने से किसान बीज बना लेते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि ऐसी किस्में जल्द ही विभिन्न बीमारियों का शिकार हो जाती हैं या फिर विपरीत वातावरण के चलते मर जाती हैं।

अनधिकृत किस्माें का खड़ा हो सकता है जंगल
यदि बिना रिलीज की गई किस्में किसान खेतों में लगाते रहे तो एक दिन गन्ने की अनधिकृत किस्माें का जंगल खड़ा हो सकता है, जो किसानों के लिए नुकसानदायक होगा। हैरानी की बात यह है कि फसल हीं नहीं किसान इन अनधिकृत किस्मों के बीज भी बना रहे हैं। सरकार को भी ऐसी शिकायतों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए, इन अनधिकृत किस्मों की बिजाई किो रोकना चाहिए, क्योंकि संस्थान, नई किस्मों को किसान हित में ही रिलीज करता है। किसानों को समझाना होगा कि वह अधिकृत और परीक्षण के बाद ही किसी भी किस्म के बीज को अपने खेत में लगाएं। जिससे वह बेहतर लाभ ले सकते हैं। -डॉ.बख्शी राम, पद्मश्री, पूर्व निदेशक-गन्ना प्रजनन केंद्र कोयबंटूर।

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