हरियाणा: अब गृह विभाग में आईपीएस की होगी तैनाती!

आईपीएस लॉबी के तर्क हैं कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना समेत देश के कई राज्यों में ऐसी व्यवस्था है। हरियाणा में ऐसा करने के लिए इसलिए जरूरत महसूस की गई है, क्योंकि पुलिस विभाग में कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जो तुरंत फौरी तौर पर करने होते हैं।

हरियाणा में एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई को लेकर आईएएस और आईपीएस के बीच चल रही तकरार के बीच एक और विवाद खड़ा हो गया है। इस बार प्रदेश के गृह विभाग में आईएएस अधिकारी के स्थान पर आईपीएस की तैनाती को लेकर तैयारी की जा रही है।

गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के नीचे अब आईपीएस अधिकारी को बतौर विशेष सचिव के लिए गृह विभाग की ओर से कोशिशें की जा रही हैं। पुलिस विभाग की तरफ से इसके लिए आईजी रैंक के अधिकारी संजय कुमार का नाम भी तय कर लिया है। हालांकि, आईएएस लॉबी ने इसका कड़ा विरोध जताया है। फिलहाल सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में यह मामला लटका हुआ है। सूत्रों का दावा है कि सरकार लगभग तय कर चुकी है और केवल आईपीएस अधिकारी के नाम की आधिकारिक घोषणा बाकी रह गई है।
आईएएस ने करार दिया गलत परंपरा
ब्यूरोक्रेसी में बदलाव को लेकर दोनों ही लॉबी अपने-अपने तर्क दे रही हैं। आईएएस अधिकारी इसे गलत परपंरा करार देते हुए पुलिस को खुली छूट देने का फैसला बता रहे हैं, जबकि आईपीएस लॉबी की ओर से इसे समय की जरूरत और दूसरे राज्यों में अपनाया फार्मूला बता रहे हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री कार्यालय में यह मामला अटका हुआ है। बताया जा रहा है कि आईएएस लॉबी के कड़े विरोध के बावजूद हरियाणा सरकार भी नए फार्मूले को लेकर सहमत है और जल्द ही इसकी नोटिफिकेशन जारी हो सकती है।

आईपीएस के ये तर्क : दूसरे राज्यों में भी ऐसा फार्मूला
आईपीएस लॉबी के तर्क हैं कि उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना समेत देश के कई राज्यों में ऐसी व्यवस्था है। हरियाणा में ऐसा करने के लिए इसलिए जरूरत महसूस की गई है, क्योंकि पुलिस विभाग में कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जो तुरंत फौरी तौर पर करने होते हैं और इसके लिए आनन-फानन में निर्णय लेने होते हैं। आईपीएस लॉबी का तर्क है कि डीजीपी की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव की जमीनी स्तर पर पुलिस को समझने वाले अधिकारी की जरूरत होती है, इसलिए विशेष सचिव के तौर पर आईएएस के स्थान पर आईपीएस को यह जिम्मेदारी दी जाए।

आईएएस के तर्क : पुलिस को खुली छूट
आईएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय में अपना तर्क रखा है कि अगर ऐसा किया तो पुलिस को खुली छूट होगी। क्योंकि डीजीपी की ओर से भेजे गए प्रस्तावों की गृह विभाग के विशेष सचिव आईएएस अधिकारी कड़ी समीक्षा करते हैं। इसके बाद इसे आगे गृह सचिव के पास भेजा जाता है। आईएएस लॉबी का तर्क है कि फिर तो गृह विभाग में एसीएस के पद का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा।

सब कुछ हो चुका फाइनल, पदनाम पर फंसा है पेंच
सीएमओ के सूत्रों का दावा है कि आईपीएस की तैनाती को लेकर लगभग सबकुछ फाइनल हो चुका है। केवल आईपीएस अधिकारी के पदनाम को लेकर पेंच फंसा है। फिलहाल आईएएस महाबीर कौशिक को गृह विभाग में विशेष सचिव के तौर पर तैनात किया गया है। अब आईपीएस के लिए विशेष सचिव-एक या फिर विशेष सचिव गृह विभाग (को-ऑर्डिनेशन) को लेकर पेंच फंसा हुआ है।

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