केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के खिलाफ बठिंडा लोकसभा सीट पर मैदान में उतरने की हिम्मत दिग्गज कांग्रेस नेता भी नहीं कर पा रहे हैैं। हालांकि अकाली दल ने अब तक आधिकारिक तौर पर हरसिमरत के नाम की घोषणा नहीं की है, लेकिन मनप्रीत बादल से लेकर डॉ. नवजोत कौर सिद्धू तक ने बठिंडा से चुनाव लडऩे से मना कर दिया है।
मनप्रीत बादल से लेकर नवजोत कौर सिद्धू ने किया चुनाव लडऩे से मना
कांग्रेस हाईकमान द्वारा वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल को बठिंडा से चुनाव लड़ने की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया। उनका कहना था कि वे प्रदेश के खजाने को सरप्लस करना चाहते हैं। उन्होंने शुरुआत में ही कहा था कि उनको खजाना सरप्लस करने के लिए चार साल का समय चाहिए। अभी दो साल हुए हैं और खजाने की स्थिति में काफी सुधार आया है, लेकिन अब भी करीब दो साल का समय चाहिए। इसके बाद ही वे किसी और चुनाव के बारे में सोच सकते हैं।
पिछले चुनाव में हरसिमरत अपने देवर मनप्रीत को दे चुकी हैैं शिकस्त
मनप्रीत के मना करने के बाद कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा नवजोत कौर सिद्धू को बठिंडा से चुनाव लड़ने की पेशकश की गई, लेकिन वह भी पीछे हट गईं। उन्होंने तर्क दिया कि नवजोत सिंह सिद्धू पूरे देश में चुनाव प्रचार में व्यस्त होंगे, ऐसे में वे चंडीगढ़ के अलावा अन्य किसी भी जगह से चुनाव लडऩे की इच्छुक नहीं हैं।
ऐसे में कांग्रेस के पास अब तक बठिंडा से चुनाव लडऩे के लिए कोई बड़ा नाम नहीं है। हालांकि विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडिंग़, सेहत मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा के बेटे मोहित मोहिंद्रा के नाम भी चर्चा में हैं। सूत्र यही बताते हैैं कि बठिंडा से कोई भी कांग्रेस नेता हरसिमरत कौर बादल का सामना करने को तैयार नहीं है। बेशक अकाली दल ने हरसिमरत के नाम की घोषणा नहीं की है लेकिन उनका बठिंडा से चुनाव लड़ना तय है।
हरसिमरत ने कैप्टन के बेटे को भी हराया
कांग्रेस के पास बठिंडा से कोई हैवीवेट उम्मीदवार के चुनाव में न आने का कारण यह भी माना जा रहा है कि हरसिमरत कौर बादल ने पहले मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर सिंह को हराया। इसके बाद पिछले चुनाव में अपने देवर मनप्रीत बादल को हराया था। बठिंडा को बादलों का गढ़ माना जाता है। बादलों का 13 सीटों में से सबसे ज्यादा जोर बठिंडा सीट पर ही लगता है। शायद इस वजह से भी कोई कांग्रेसी मैदान में उतरने से हिचक रहा है।