हम चाहते हैं कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनका विशेष दर्जा वापल लौटाए : फारूख अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को बीते मंगलवार रात को ही 14 महीने बाद नजरबंदी से रिहा किया गया। रिहा होने के बाद महबूबा कश्मीर में फिर सियासी तौर पर सक्रिय हो गई हैं। बुधवार को ही महबूबा मुफ्ती से मिलने नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला उनके घर पहुंचे। अब आज एक और अहम बैठक हुई। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने गुपकर समझौते पर चर्चा की।

करीब दो घंटे तक चली इस बैठक के बाद फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि सभी पार्टियों ने इस समझौते का नाम गुपकार से बदलकर ‘पीपल एलायंस गुपकार समझौता’ करने करने पर आम सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। जम्मू-कश्मीर की समस्या का समाधान राजनीतिक है। आगे की रणनीति के लिए हम फिर बैठक करेंगे।

फारूख अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा कि महबूबा जी को इतने दिनों तक नजरबंद रखना गैर-कानूनी था। अभी भी कई लोग जेल में हैं जिन्हें रिहा किया जाना चाहिए। हम चाहते हैं कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनका विशेष दर्जा वापल लौटाए।

नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूख अब्दुल्ला के घर चल रही बैठक में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस एवं अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कई राजनीतिक दलों के नेता यहां मौजूद हैं।

गुपकार घोषणा का हिस्सा रहे सियासी दलों की यह तीसरी बैठक हो रही है। इस गुपकार घोषणा में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस एवं अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत कुछ अन्य क्षेत्रीय दल शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने और नेताओं की रिहाई के बाद यह पहली बड़ी बैठक है। कुछ नेताओं ने अनुच्छेद 370 हटाने को गलत ठहराया है और वापस इसे लागू करने की मांग की है। बैठक को देखते हुए वहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

महबूबा मुफ्ती ने रिहा होने के बाद बयान दिया था कि जो दिल्ली ने हमसे छीना है वो हम वापस लेकर रहेंगे और काले दिन के काले इतिहास को मिटाएंगे। इतना ही नहीं फारूक अब्दुल्ला ने तो यहां तक कहा था कि चीन अनुच्छेद 370 वापस दिलाने में उनकी मदद कर सकता है।
क्या है गुपकार समझौता

पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35A हटाई गई तो घाटी के नेताओं ने एक साझा बयान जारी किया था। बयान में कहा गया था कि अनुच्छेद 35A और 370 को खत्म करना या बदलना असंवैधानिक है। राज्य का बंटवारा कश्मीर और लद्दाख के लोगों के खिलाफ ज्यादती है और इसे ही बाद में गुपकार समझौता कहा गया।

 

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