अगले दो साल में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने गठबंधन की वकालत की है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी अकेले लड़ेगी तो लड़खड़ा जाएगी और कई जगहों पर हार जाएगी। लिहाजा पार्टी को पुनर्जीवन के लिए राज्यवार रणनीतियां बनानी चाहिए।
एक साक्षात्कार में चिदंबरम ने कहा, ‘आगे बढ़ने का रास्ता यही है कि जहां आप अगुआ पार्टी हैं, वहां जितनी संभव हों उतनी पार्टियों को जोड़ें। अगर आप अगुआ पार्टी नहीं हैं तो लगभग समान विचारधारा वाली दूसरी पार्टी को कोर पार्टी बनाएं। हमें बुद्धिमानी दिखानी होगी और राज्यवार रणनीतियां बनानी होंगी। पुनर्जीवन का सिर्फ यही एक तरीका है। अगर हम अकेले लड़ेंगे तो लड़खड़ाएंगे और कई जगहों पर गिर जाएंगे।’
एक सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा, ‘आज हमारे पास एक कांग्रेस अध्यक्ष हैं। वह पूर्ण और प्रभावशाली तरीके से काम कर रही हैं। अगर वह हटना चाहेंगी तो वही फैसला करेंगी। अगर वह फैसला लेती हैं तो मुझे विश्वास है कि कांग्रेस नया अध्यक्ष चुन लेगी।’
असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को कड़वा अनुभव बताते हुए चिदंबरम ने कहा कि भाजपा सरकार का राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) साफ तौर पर एनआरसी से लिंक है।
उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया कि वह साफ शब्दों में क्यों नहीं कहते कि एनआरसी की कवायद नहीं की जाएगी। केरल का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, राज्यों को यह कहने का अधिकार है कि विरोध प्रदर्शनों के चलते वे एनपीआर या एनआरसी नहीं करा सकते।
साथ ही उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए रोहिंग्या और श्रीलंकाई तमिलों को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से बाहर नहीं किया जाना चाहिए।