कोरोना वायरस की वजह से देशभर में जारी लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूर विभिन्न जगहों पर फंसे हुए हैं। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रेलवे की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
विनोद कुमार ने बताया कि 72 घंटे से ज्यादा सिर्फ चार ट्रेनों समय लिया। 3840 ट्रेनें 72 घंटे से कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंची हैं। उन्होंने बताया कि 90 फीसदी ट्रेन समय से पहुंची हैं।
उन्होंने बताया कि कई कारणों की वजह से ट्रेनों के रूट को डायवर्ट करना पड़ा। ट्रेन लेट होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि नौ दिन ट्रेन लेट होने का आरोप झूठा है। ऐसा कुछ भी नहीं है।
ट्रेन में डॉक्टरों को भेजा जाता है और इस दौरान 30 से ज्यादा डिलीवरी हुईं।
रेलवे ने अभी तक 52 लाख लोगों को अपने गृह राज्य पहुंचाया है।
हमने बहुत सारी ट्रेन यूपी और बिहार की चलाई और हमें पहले दिन ही तकनीकी दिक्कतों के बारे में पता चल गया।
रेलवे ने 20 मई तक 279 ट्रेन चलाई।
सिर्फ 10 फीसदी ट्रेनों ने ही 5 घंटे से ज्यादा का समय लिया और बाकी 90 प्रतिशत ट्रेन समय से पहुंचीं।
90 फीसदी ट्रेन सामान्य मेल एक्सप्रेस की सामान्य गति से ज्यादा तेज चलीं।
रेलवे बोर्ड ने कहा कि ट्रेन के रास्ता भटकने जैसी खबरें गलत हैं। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
नियमित रूट पर ज्यादा भीड़ होने की वजह से रूट में बदलाव करना पड़ा।
ट्रेन के भटकने की खबरें पूरी तरह से फेक हैं। इससे दिनरात काम में जुटे रेलवेकर्मियों का मनोबल टूटता है।
पिछले हफ्ते 3 लाख से ज्यादा मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाया गया।
हम यात्रियों के लिए खाना और पानी मुहैया कराने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं। हालांकि हमें इस महामारी के दौरान काफी मुश्किलें आ रही हैं।
रेलवे ने की अपील
रेलवे ने अपील की है कि जो लोग गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, वो ट्रेन यात्रा से बचें।
इसके अलावा गर्भवती महिलाएं, 10 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग भी अगर जरूरी न हो तो यात्रा न करें।
ट्रेन यात्रा के दौरान महिला की दुखद मृत्यु हुई, उसकी जांच चल रही है।
रेलवे एक-एक केस की जांच करने में जुटा हुआ है। खाने-पीने की स्थिति को लेकर भी 24 घंटे निगरानी हो रही है।
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