भारत में जल्द ही एक और कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है. जाहिर है वर्तमान में दो वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है. जिसे लोगों को लगाया जा रहा है. ऐसे में तीसरे वैक्सीन को मंजूरी मिलना भारत के लिए एक बार फिर से बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चीफ अदार पूनावाला ने ऐलान किया है कि उनकी कंपनी दूसरी कोरोना वायरस की वैक्सीन को इस साल जून माह में लॉन्च कर सकती है.
उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट इन दिनों Novavax वैक्सीन का ट्रायल कर रहा है. कोरोना वायरस के खिलाफ इसकी रिपोर्ट काफी अच्छी है. उम्मीद है कि इसे जून 2021 तक लॉन्च किया जाएगा.
ट्विटर पर एक ट्वीट के जरिए पूनावाला ने कहा कि Novavax के साथ हमारी साझेदारी काफी अच्छी रही है और इसने काफी अच्छे परिणाम दिख रहे हैं. भारत में इसके ट्रायल को लेकर हमने आवेदन किया है. उम्मीद है कि इसे जून 2021 तक लॉन्च किया जाएगा.
अगर इस वैक्सीन को मंजूरी मिलती है तो यह देश की तीसरी वैक्सीन होगी. देश में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लगाने का कार्यक्रम 16 जनवरी को शुरू किया गया है.
मौजूदा समय में लोगों को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवाक्सिन दी जा रही है. कोवाक्सिन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टिट्यूट वीरोलॉजी ने तैयार किया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड-19 के टीकों की बर्बादी को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं. मंत्रालय ने कहा है कि टीकों की बर्बादी को रोकने के लिए टीकाकरण केंद्रों को प्रत्येक दिन के लिए निर्धारित 100 लाभार्थियों के अलावा अतिरिक्त लाभार्थियों को जोड़ने की अनुमति दी गई है. बशर्ते कि निर्धारित लाभार्थी टीका लगवाने नहीं पहुंचें.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने टीकाकरण कार्यक्रम में बेहतर प्रदर्शन किया है तथा जहां स्वास्थ्य कर्मियों का 35 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण कवरेज किया गया है, उनमें लक्षद्वीप (83.4 प्रतिशत), ओडिशा (50.7 प्रतिशत), हरियाणा (50 प्रतिशत), अंडमान निकोबार द्वीप समूह (48.3 प्रतिशत), राजस्थान (46.8), त्रिपुरा (45.6 प्रतिशत), मिजोरम (40.5 प्रतिशत), तेलंगाना (40.3 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (38.1 प्रतिशत), कर्नाटक (35.6 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश(35.5 प्रतिशत) शामिल हैं.
भूषण ने कहा कि वहीं, दिल्ली में 15.7 प्रतिशत, झारखंड में 14.7 प्रतिशत, उत्तराखंड में 17.1 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में 20.6 प्रतिशत, जबकि महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 20.7 प्रतिशत है.