हमारा किसान संगठन वर्षों तक आंदोलन करने का माद्दा रखता है खेती कानून को रद्द करवाने तक संघर्ष जारी रहेगा: जोगिंदर सिंह उगराहां

कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब-हरियाणा के किसान दिल्ली के बार्डर पर डटे हुए हैं। पंजाब के लगभग 30 और हरियाणा के 18 किसान संगठनों के नेतृत्व में यह आंदोलन जारी है। पंजाब का सबसे बड़ा किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन उगराहां भी कंधे से कंधा मिलाकर इन कानूनों के खिलाफ खड़ा है। संगठन की बागडोर पूर्व फौजी जोगिंदर सिंह उगराहां के हाथों में है। आइए जानते हैं कौन हैं जोगिंदर सिंह, जिनसे देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बात की।

नए खेती कानून के विरोध में पिछले ढाई माह से संघर्ष कर रही भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां का गठन करीब दो दशक पहले हुआ था। संगठन का गठन करने वाले जोगिंदर सिंह उगराहां के हाथ में ही इसकी कमान है। सुनाम के गांव उगराहां के रहने वाले जोगिंदर सिंह गरीब किसान परिवार से हैं और सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह ने उनसे बात की थी और उन्हें बुराड़ी में प्रदर्शन करने के लिए कहा था, लेकिन उगराहां ने इसे अस्वीकार कर दिया था। 

बेहद साधारण घर में रहने वाले उगराहां की पत्नी का देहांत हो चुका है और उनकी दो बेटियां विवाहित हैं। देहांत से पहले उनकी पत्नी भी किसान संघर्ष के दौरान उनके साथ सक्रिय रहती थीं। उगराहां किसानों की छोटी से छोटी समस्या को लेकर सरकार व प्रशासन से सीधे भिड़ जाते हैं।  

किसानों के लिए कठिनाई पैदा करने वाले सरकारी कायदों और नियमों को खुलेआम चुनौती देना इस संगठन की विशेषता है। यही कारण है कि पंजाब के मालवा व माझा इलाके का ज्यादातर किसान व मजदूर वर्ग इस संगठन के साथ है। 

कर्ज की अदायगी नहीं कर पाने वाले किसान व मजदूर के लिए जोगिंदर उगराहां ढाल बनते हैं। संगठन के आंदोलन के दौरान किसी भी राजनेता को पास फटकने नहीं देते हैं और न ही किसी राजनीतिक दल को यूनियन के आंदोलन का लाभ उठाने देते हैं। सियासत से दूरी बनाए रखने वाले जोगिंदर उगराहां कहते हैं कि उनका संगठन वर्षों तक आंदोलन करने का माद्दा रखता है। खेती कानून को रद्द करवाने तक संघर्ष जारी रहेगा। यूनियन पीछे नहीं हटेगी।    

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