भारतीय सैनिक अब एलएसी पर चीन की किसी भी करतूत से निपटने के लिए फायरिंग भी कर सकते हैं. सरकार ने सेना को एलएसी पर चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए हथियार चलाने और गोलाबारी तक करने की छूट दे दी है. यानि सैनिक अब चीन के साथ सीमा को लेकर हुई संधियों से बंधे नहीं हैं.
इस बाबत आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुख और सीडीएस, जनरल बिपिन रावत के साथ चीन सीमा पर चल रहे गतिरोध को लेकर समीक्षा-बैठक की. करीब एक घंटे चली इस मीटिंग में रक्षा मंत्री ने सैनिकों को चीन सीमा पर उत्पन्न किसी भी विषम-परिस्थिति में किसी भी तरह कार्रवाई की छूट दी है.
बता दें कि कल से रक्षा मंत्री तीन दिवसीय रूस की यात्रा पर जा रहे हैं. उससे पहले चीन सीमा पर बने हुए हालात को लेकर ये एक अहम मीटिंग थी.
सूत्रों के मुताबिक, गलवान घाटी में हुई हिंसक संघर्ष के बाद समीक्षा कर पाया गया कि भारतीय सैनिकों ने 15/16 जून की रात इसलिए फायरिंग नहीं की थी क्योंकि भारत और चीन के बीच 1996 में एलएसी पर फायरिंग और गोलाबारी ना करने की संधि हुई थी.
इस संधि के बाद से ही भारतीय सैनिक यहां कोई भी परिस्थिति हो फायरिंग नहीं करते थे. लेकिन अब ऐसा लगता है कि भारत सरकार ने चीन के साथ सीमा पर शांति बनाए रखने को हुई संधि को दरकिनार कर दिया है.
सूत्रों ने ये तो साफ नहीं किया कि क्या चीन के साथ हुई संधियों को तोड़ दिया गया है, लेकिन इतना जरूर कहा कि गलवान घाटी में जो हिंसक संघर्ष हुई उसमें क्या चीन ने किसी संधि को माना है? ऐसे में भारतीय सेना को किसी भी तरह के जवाबी कार्रवाई करने की पूरी इजाजत दी गई है.
गौरतलब कि 1996 में भारत और चीन ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए ‘मिलिट्री फील्ड’ में संधि की थी जिसके तहत दोनों देशों के सैनिकों को एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दो किलोमीटर के दायरे में किसी भी तरह की फायरिंग और गोलाबारी पर रोक थी.
लेकिन 15/16 जून की रात जिस तरह चीन ने गलवान घाटी में पहले भारतीय सैनिकों की पेट्रोलिंग पार्टी को बंधक बनाया और फिर धोखे से बिहार रेजीमेंट के कमांडिंग ऑफिसर के छल और धोखे में हत्या कर दी, उसने सेना सहित सरकार को भी चीन से संबंधों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है.
हालांकि, सीओ की हत्या के बाद बिहार रेजीमेंट और तोपखाने के सैनिकों ने एलएसी पार कर चीन के तंबू (अस्थायी ऑबजर्वेशन पोस्ट यानि निगरानी-चौकी) में आग लगा दी थी और बड़ी तादाद में चीनी सैनिकों को मार दिया या घायल कर दिया था.
इस जवाबी हमले में भी किसी भारतीय सैनिक ने कोई फायरिंग नहीं की थी. उन्होनें लाठी, डंडे और रॉड से ही चीनी खेमे में हमला किया था.
लेकिन गलवान घाटी में हुई हिंसा के बाद भारत सरकार ने सैनिकों को फायरिंग की भी छूट दी है. लेकिन ये छूट सिर्फ उन विशेष परिस्थितियों में होगी अगर चीनी सेना कोई गलवान घाटी जैसी करतूत फिर से करती है.
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