दिल्ली में कोरोना वायरस के कम होते मामलों के बीच अगस्त के महीने में मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई. सरकार की Covid-19 वेबसाइट के अनुसार, बुधवार को 24 घंटों में 2,300 से भी अधिक मामले दर्ज किए गए.

कोरोना के कम होते मामलों से दिल्ली वालों को एक उम्मीद जगी थी कि शायद ये महामारी जल्द खत्म हो जाए. लेकिन एक बार फिर बढ़ते मामलों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. आइए जानते हैं कि आखिर इसके क्या कारण हो सकते हैं?
लॉकडाउन की थकान- बढ़ते लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर लोग मानसिक रूप से थकान महसूस करने लगे हैं. इसका असर लोगों की आम जिंदगी पर पड़ रहा है.
दिल्ली के बाजारों में लोगों को बिना मास्क के घूमते देखा जा सकता है. ज्यादातर लोग अब सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नहीं कर रहे हैं. हाल ही में दिल्ली पुलिस ने मास्क ना पहनने पर लगभग 1.9 लाख लोगों पर जुर्माना लगाया है. इनमें से ज्यादातर लोग मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी और कंझावला जैसे क्षेत्रों से हैं.
कोरोना वायरस की टेस्टिंग- जब कोरोना वायरस महामारी शुरू हुई थी तब WHO ने इसे फैलने से रोकने के लिए सबसे जरूरी जो चीज बताई थी वो इसकी टेस्टिंग थी.
जल्दी टेस्ट होने से मरीज को आइसोलेट करके इलाज करने से इसे फैलने से रोका जा सकता है. दिल्ली में जुलाई के मध्य तक टेस्टिंग की संख्या काफी बढ़ चुकी थी. टेस्टिंग बढ़ने के साथ ही कोरोना के मामलों में कमी भी देखी गई. हालांकि, अगस्त में टेस्टिंग में फिर से कमी देखी गई जिसकी वजह से मामले बढ़ने फिर शुरू हो गए.
बाजार, ऑफिसों का फिर से खुलना- अगस्त के महीने में दिल्ली के बाजार, ऑफिस और फैक्ट्री फिर से खुल गए. इसकी वजह से काम पर जाने के लिए ज्यादा लोग घरों से निकल रहे थे.
पिछले कुछ हफ्तों में दिल्ली की सड़कों पर बहुत ट्रैफिक सिग्नल देखे गए. मॉल, साप्ताहिक बाजार, रेस्टोरेंट, होटल और पार्क खुल गए हैं. लॉकडाउन हटने के साथ ही बाजार जैसी जगहों पर एक मीटर की दूरी बनाए रखना मुश्किल हो गया है. ई-रिक्शा और ऑटो में दो से अधिक यात्रियों को बैठा देखा जा सकता है.
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