कोरोना के बढ़ते मामलों के पीछे नए स्वरूपों को वजह माना जा रहा है। जबकि केंद्र के विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक एक भी अध्ययन सामने नहीं आया है जिसके अनुसार यह कहा जा सके कि दूसरी लहर के पीछे वायरस के नए स्वरूप जिम्मेदार हैं।
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार ने कहा कि अब तक 771 वैरिएंट सामने आ चुके हैं लेकिन इनमें से एक भी ऐसा नहीं है जिसके जरिए संक्रमण के मामले बढ़ने की बात साबित होती हो। ब्रिटेन, ब्राजील और द. अफ्रीका से भारत आए तीन स्वरूपों को लेकर कोई पुष्टि नहीं हुई है।
इसलिए वायरस के नए स्वरूप को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। पहली लहर नियंत्रण में आने के बाद लोग खुद को संक्रमण मुक्त समझने लगे और नियमों की परवाह करना भी छोड़ दिया। इसका नतीजा अब सबके सामने हैं।
दो महीने पहले केंद्र ने पांच फीसदी सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग अनिवार्य करने के आदेश दिए थे लेकिन अब तक के आंकड़ों पर गौर करें तो स्पष्ट है कि इस लक्ष्य को पूरा करने में भी राज्य सरकारें कंजूसी दिखा रही हैं।
आरटी-पीसीआर की जगह सस्ती एंटीजन किट्स का इस्तेमाल करने पर कई राज्यों में संक्रमण स्रोत लापता रहे। अब तक 10 हजार सैंपल की सीक्वेंसिंग हुई है जबकि नियमानुसार कम से कम एक लाख सैंपल से भी अधिक की सीक्वेंसिंग अब तक होनी चाहिए थी।