हंगामेदार रही नगर निगम की बैठक, चुनाव और बस मार्शलों की बहाली पर आप-भाजपा में भीषण संग्राम

उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी अनुसूचित जाति के पार्षद को मेयर बनने से रोक रही है, जिससे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। वहीं, उन्होंने सवाल किया कि जब आतिशी मुख्यमंत्री बन गई हैं, तो अब मेयर चुनाव क्यों नहीं कराया जा रहा है। इस दौरान भाजपा पार्षदों ने तख्तियां लहराईं, जिन पर आरोप लिखे थे।

एमसीडी की शनिवार को आयोजित बैठक में भाजपा पार्षदों ने मेयर चुनाव न कराए जाने के विरोध में हंगामा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी अनुसूचित जाति के पार्षद को मेयर बनने से रोक रही है, जिससे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। वहीं, उन्होंने सवाल किया कि जब आतिशी मुख्यमंत्री बन गई हैं, तो अब मेयर चुनाव क्यों नहीं कराया जा रहा है। इस दौरान भाजपा पार्षदों ने तख्तियां लहराईं, जिन पर आरोप लिखे थे।

दूसरी ओर मेयर डॉ. शैली ओबराय ने 27 सितंबर को स्थायी समिति के एक सदस्य के चुनाव के निर्णय को गैरकानूनी करार दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस चुनाव पर सवाल खड़े किए हैं। इस बीच भाजपा पार्षदों के शांत नहीं होने पर मेयर ने एजेंडा पास कर बैठक स्थगित कर दी। करीब 40 मिनट देर से शुरू हुई सदन की बैठक में भाजपा पार्षदों ने आप पर एक सोची-समझी साजिश के तहत अनुसूचित जाति के पार्षद को मेयर पद से वंचित रखने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया।

उन्होंने दावा है कि आप इस चुनाव को जानबूझकर टाल रही है, ताकि अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के मेयर बनने का अवसर छीन लिया जाए। इस दौरान भाजपा पार्षदों ने आरोप लिखी तख्तियां सदन में लहराईं और नारेबाजी की। उनका कहना था कि आतिशी के मुख्यमंत्री बनने के बावजूद अब तक मेयर चुनाव नहीं कराया जाना, आप मंशा पर सवाल खड़े करता है।

मेयर ने कहा – स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव गैरकानूनी
मेयर ने 27 सितंबर को स्थायी समिति के एक सदस्य के चुनाव के निर्णय को गैरकानूनी करार दिया। मेयर ने सदन में बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस चुनाव पर सवाल उठाए हैं और इस संबंध में उपराज्यपाल से जवाब मांगा गया है। मेयर ने इस मामले को कानूनी रूप से गलत बताते हुए कहा कि अदालत के निर्देशों का पालन करते हुए ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, भाजपा पार्षदों के हंगामे के बीच मेयर ने एजेंडा पास कर बैठक स्थगित कर दी।

बैकफुट पर भाजपा : गए थे बस मार्शल को हक दिलाने, एलजी के पास जाने से लगे कतराने
बस मार्शलों की बहाली को लेकर शनिवार को दिल्ली का सियासी पारा गरमाया रहा। हर दिन इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को घेर रही भाजपा बैकफुट पर नजर आई, जब दिल्ली सरकार ने कैबिनेट से मार्शलों की बहाली पर मुहर लगाने का दावा किया और उपराज्यपाल से सहमति के लिए भाजपा विधायकों को साथ चलने को कहा। मुख्यमंत्री आतिशी अपनी कैबिनेट मंत्रियों के साथ उपराज्यपाल आवास की तरफ निकलीं। इससे पहले वहां जाने के मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई। बस मार्शल की नियुक्ति को लेकर आप के विधायकों ने भाजपा विधायकों पर वहां से भागने का आरोप लगाया।

भाजपा विधायक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में सुबह 10 हजार डीटीसी बस मार्शलों को नौकरी पर बहाल करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री आतिशी से मिलने सचिवालय पहुंचे। बैठक में भाजपा विधायकों ने इस मुद्दे पर कैबिनेट की मंजूरी की मांग की। यह भी दावा किया कि कैबिनेट नोट के बाद उपराज्यपाल से इसकी मंजूरी भाजपा दिलवाएगी।

आनन-फानन में इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री आतिशी ने सचिवालय में आयोजित बैठक के दौरान कैबिनेट नोट पास करने का दावा किया, लेकिन जब दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने भाजपा विधायक दल को तत्काल उपराज्यपाल के पास चलने को कहा तो मार्शलों को हक दिलाने और आतिशी को ज्ञापन देने पहुंचे भाजपा नेता कतराने लगे। इसे लेकर पक्ष और विपक्ष में जमकर आरोप-प्रत्यरोप के तीर चले। बस मार्शल विवाद में मुख्यमंत्री आतिशी की गुगली में भाजपा फंस गई जब आप के विधायक भाजपा विधायकों के पैर पकड़कर राजनिवास जाने के लिए कहने लगे।

नौकरी छीनने के लिए केजरीवाल जिम्मेदार : बिधूड़ी
भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी ने शनिवार को कहा कि दिल्ली सरकार मार्शलों के मामले में छलावा करना बंद करे। मार्शलों की नौकरी अरविंद केजरीवाल के आदेश से छिनी है। आप सरकार ने गेस्ट टीचर, जल बोर्ड और डीटीसी समेत सरकारी विभागों के कॉन्ट्रेक्ट कर्मियों, सिविल डिफेंस वालंटियर्स, डाक्टर्स और पेरा मेडिकल स्टाफ सभी से धोखा किया है। यह बात कोई नहीं झुठला सकता

कि 11 अक्तूबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आदेश से करीब दस हजार बस मार्शलों की नौकरी एक झटके से छिन गई। केजरीवाल ने वह आदेश जारी करते हुए यह बिलकुल नहीं सोचा कि गरीब लोगों के घर कैसे चलेंगे। केजरीवाल सभी मार्शलों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगे और स्वीकार करें कि उनके कारण ही वे एक साल से बेरोजगार होकर सड़कों पर भटक रहे हैं। सड़कों पर लेटकर मार्शलों की हमदर्दी बटोरी जा रही है। ब्यूरो

बस मार्शलों से अन्याय कर रही दिल्ली सरकार : कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार बस मार्शलों से अन्याय कर रही है। सरकार ने अब नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर उन मार्शलों के भविष्य को अंधकार में धकेलने की योजना बना ली है, जिनकी पहले बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के नियुक्ति की गई थी और फिर हटा दिया गया।

उन्होंने मुख्यमंत्री आतिशी से पूछा कि क्या नई मार्शल भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है या यह भी उपराज्यपाल के पास जाकर केवल चुनावी स्टंट बनकर रह जाएगी। उन्होंने कहा कि क्या पहले से निकाले गए मार्शलों की फिर से नियुक्ति की जाएगी, क्योंकि नई प्रक्रिया के तहत ऐसा संभव नहीं लगता। दरअसल, दिल्ली सरकार पहले यह तय करेगी कि कितने बस मार्शल चाहिए। इसके बाद यह फाइल प्रशासनिक सुधार विभाग के पास भेजी जाएगी। यह विभाग अध्ययन कर बताएगा कि मार्शल पद के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए और कितने पदों पर भर्ती की आवश्यकता है।

इसके बाद फाइल वित्त मंत्रालय को भेजी जाएगी, जो वार्षिक बजट के अनुसार खर्च का निर्धारण करेगा। इसके बाद ही सरकार भर्ती प्रक्रिया की मंजूरी देगी। सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद भर्ती की फाइल उपराज्यपाल के पास भेजी जाएगी। उनकी मंजूरी के बाद सर्विस विभाग मार्शलों की नियुक्ति के लिए सार्वजनिक तौर पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा। आवेदकों को पहले टेस्ट और फिर साक्षात्कार से गुजरना होगा, जिसके बाद उन्हें नियुक्त किया जाएगा। जब सरकार केवल काम चलाने के लिए मार्शलों की भर्ती कर रही है, तो 10,000 से अधिक निकाले गए मार्शलों को न्याय कैसे मिलेगा। न केवल मार्शल, बल्कि अन्य सरकारी विभागों में भी सिर्फ अस्थायी या ठेके पर भर्तियां की जा रही हैं।

आप विधायकों पर विजेंद्र गुप्ता ने लगाया हाथापाई व अभद्रता का आरोप
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि शनिवार को भाजपा विधायकों के साथ मुख्यमंत्री आतिशी को मार्शलों के मुद्दे पर ज्ञापन सौंपने के बाद जब वे बाहर आए तो सचिवालय परिसर में आप विधायकों और असामाजिक तत्वों ने उनसे अभद्रता व हाथापाई की। राजनिवास से बाहर निकलने पर मंत्री सौरभ भारद्वाज, विधायक कुलदीप कुमार, जरनैल सिंह और रोहित महरोलिया ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर हमला किया। इसकी शिकायत दिल्ली पुलिस से करके एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।

विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि डीटीसी के 10 हजार बस मार्शलों को पिछले साल 11 अक्तूबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर नौकरी से बिना कारण बताए हटा दिया गया। नौकरी से हटाने से पहले 5-6 महीने तक वेतन ही नहीं मिला। मार्शलों को वेतन देने का अधिकार तत्कालीन वित्त मंत्री आतिशी के अधिकार क्षेत्र में था। उन्होंने जानबूझकर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया और फाइल उपराज्यपाल को भेज दी। शनिवार को मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में सरकार की तरफ से सहयोग नहीं मिला। बैठक में विपक्षी विधायकों के दबाव में सरकार की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय में औपचारिकता पूरी करने के लिए कैबिनेट नोट बना दिया गया। इस नोट पर मंत्रियों के हस्ताक्षर तक नहीं थे और न ही भाजपा विधायकों की ओर से दिए ज्ञापन की किसी भी मांग को शामिल किया गया।

भाजपा विधायक दल की मुख्यमंत्री से मांग
सभी बस मार्शलों को तुरंत नियुक्त किया जाए।
सेवाओं को उनकी प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से नियमित किया जाए।
कानूनी प्रक्रिया के अनुसार सभी को स्थायी नियुक्ति पत्र जारी किए जाएं।
हर वर्ष 1 जनवरी और 1 जुलाई को वार्षिक वेतन वृद्धि भी लागू की जाए।
मानदेय के बजाय वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
नियमों के अनुसार आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।

बस मार्शलों की बहाली को लेकर दिनभर चला हाईवोल्टेज ड्रामा
राजधानी में दस हजार से अधिक बस मार्शलों की फिर से बहाली को लेकर शनिवार को दिनभर हाईवोल्टेज ड्रामा चला। एक तरफ उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मार्शलों के एक समूह से मुलाकात कर राहत देने का आश्वासन दिया। वहीं, दिल्ली सरकार ने दूसरे समूह से मुलाकात कर कैबिनेट की बैठक में बहाली का प्रस्ताव पास किया। साथ ही, खुद मुख्यमंत्री आतिशी कैबिनेट नोट लेकर भाजपा विधायकों को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय पहुंचीं।

इससे पहले दिल्ली सचिवालय में भाजपा विधायकों को एलजी हाउस तक लाने के लिए मंत्री सौरभ भारद्वाज आप विधायकों के साथ नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के पैरों में भी गिर गए। वहीं, सुरक्षा प्रोटोकॉल को तोड़कर मुख्यमंत्री आतिशी नेता प्रतिपक्ष की कार में बैठ गईं। इसके बाद भी जब मामला सुलझता नहीं दिखा तो एलजी हाउस से लौटते समय मंत्री सहित आप के विधायक बस मार्शलों के साथ धरने पर बैठ गए। मुख्यमंत्री आतिशी ने बताया कि भाजपा का विधायक दल सुबह 10ः30 बजे दिल्ली सचिवालय पहुंचा।

उन्हें बताया गया कि सेवा विभाग का मामला उपराज्यपाल के अधीन है, लेकिन भाजपा विधायक बरगलाने की कोशिश कर रहे थे। भाजपा के विधायक दल की पोल खुल गई, क्योंकि आप सरकार और कैबिनेट ने स्पष्ट कर दिया कि जो निर्णय हमें लेने हैं, वे हम लेंगे, लेकिन जिस पर एलजी का निर्णय चाहिए वह भाजपा करवाए। भाजपा एलजी से कुछ भी करवाने को तैयार नहीं है और बस मार्शल के मुद्दे पर राजनीति की जा रही है।

बैठक में पास हुआ कैबिनेट नोट
दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक कर बस मार्शलों और सिविल डिफेंस वालेंटियर्स की नौकरी को नियमित करने का प्रस्ताव पारित किया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि हमने भाजपा विधायकों व बस मार्शलों के सामने ही कैबिनेट की बैठक बुलाई और सभी बस मार्शलों की बहाली व पक्की नियुक्ति का प्रस्ताव पास किया। अब इसे उपराज्यपाल को अनुमति देनी है। भाजपा बेनकाब हो गई है, क्योंकि भाजपा के विधायक एलजी के पास जाने को तैयार नहीं थे। कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज के पैर पकड़ने के बाद और बड़ी जद्दोजहद के बाद गए भी तो कुछ बोलने को तैयार नहीं हुए।

महिला को सुरक्षित बनाते हैं मार्शल : आतिशी
आतिशी ने कहा कि बसों में मार्शल होने से महिलाएं सुरक्षित महसूस करती थीं। उन्हें लगता था कि अगर उनके साथ कोई गलत व्यवहार करेगा, तो बचाने के लिए बस मार्शल मौजूद है।

मंत्रियों और विधायकों पर गर्व : केजरीवाल
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर कहा कि मुझे अपने मंत्रियों और विधायकों पर गर्व है, जो जनता के काम करवाने के लिए किसी के पैरों में भी लेट जाते हैं। मेरी एलजी और भाजपा वालों से विनती है कि इस मुद्दे पर और राजनीति न करें और तुरंत बस मार्शलों को नौकरी पर रखा जाए।

मंत्रियों का आरोप, गेट पर रोका
दिल्ली सरकार के मंत्रियों ने आरोप लगाया कि एलजी हाउस पहुंचने पर सभी मंत्रियों, विधायकों और कार्यकर्ताओं को गेट पर ही रोक दिया गया। एलजी हाउस में सिर्फ मुख्यमंत्री और भाजपा विधायकों को ही जाने की अनुमति मिली। मुख्यमंत्री आतिशी ने एलजी से सिविल डिफेंस वालेंटियर्स की नौकरी तत्काल बहाल करने का निवेदन किया। इस दौरान भी भाजपा विधायकों ने उनकी नौकरी बहाली के लिए न तो कुछ कहा और न ही कुछ प्रयास किया।

बस मार्शलों ने कहा- पूरी पारदर्शिता से हो काम
एलजी हाउस के बाहर धरने पर बैठे मार्शलों का कहना है कि केंद्र व दिल्ली सरकार हमारा काम पूरी पारदर्शिता के साथ करें। इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम भाजपा नेताओं से कहना चाहते हैं कि एलजी उनके नुमाइंदे हैं, वे उनसे कहें कि जल्द हमें फाइल पर हस्ताक्षर करवाकर दें।

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