स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने बताया किसे पहले लगेगी कोरोना वैक्‍सीन, कब तक होगी तैयार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि अगले साल के शुरू में कोरोना का टीका आने की उम्मीद है। सरकार बुजुर्गों और अत्यधिक जोखिम वाले स्थानों पर काम करने वाले लोगों को सबसे पहले वैक्सीन लगाने की मंजूरी देने पर विचार कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वैक्सीन पर भरोसे का सवाल उठता है तो सबसे पहले वह वैक्सीन लगवाएंगे।

नए साल की शुरुआत में आ सकती है वैक्‍सीन 

स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के मुताबिक हर्षवर्धन ने कहा कि वैक्सीन लांच करने की अभी कोई तारीख तय नहीं है। यह 2021 की शुरुआत में आ सकती है। सबसे पहले यह उन्हें उपलब्ध कराई जाएगी, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होगी, भले ही वो इसे खरीदने की स्थिति में हों या नहीं। केंद्रीय मंत्री अपने डिजिटल कार्यक्रम ‘संडे संवाद’ में लोगों से बातचीत कर रहे थे।

बरती जा रही पूरी सावधानी 

हर्षवर्धन ने कहा कि वैक्सीन के मानव परीक्षण को लेकर सरकार पूरी सावधानी बरत रही है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल की अध्यक्षता वाला कोरोना पर राष्ट्रीय विशेषज्ञों का समूह बड़ी आबादी को वैक्सीन देने की विस्तृत रणनीति तैयार कर रहा है। वैक्सीन की सुरक्षा, लागत, इक्विटी, आवश्यक कोल्ड-चेन, उत्पादन की समयसीमा जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हो रही है।

पहले इन लोगों को टीका लगाने पर विचार 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बुजुर्गों और अधिक जोखिम वाले लोगों जैसे स्वास्थ्यकर्मियों, गंभीर रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को पहले टीका लगाने की मंजूरी देने पर विचार किया जा रहा है। लेकिन आम सहमति बनने के बाद ही इस दिशा में कोई अंतिम फैसला किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर लोगों को इस वैक्सीन से सुरक्षा को लेकर किसी तरह का डर या आशंका होगी तो सबसे पहले वह इसकी खुराक लेना पसंद करेंगे, ताकि लोगों का भरोसा बढ़े।

ट्रायल पर रखी जा रही नजर 

एक सवाल पर उन्होंने कहा कि देश में सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं और अस्पतालों में कई वैक्सीन का परीक्षण विभिन्न चरणों में पहुंच गया है। बदले हालात को लेकर जैव प्रौद्योगिकी विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) सक्रिय बने हुए हैं और नजर रख रहे हैं।

अवसर में बदली महामारी

हर्षवर्धन ने कहा कि भारतीय उत्पादकों के लिए महामारी अवसर में बदल गई है। पहले देश में मानकों पर आधारित पीपीई किट्स बनाने वाली एक भी कंपनी नहीं थी, आज इनकी संख्या करीब 110 तक पहुंच गई है। आज देश इसके निर्यात की स्थिति में पहुंच गया है।

 

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