केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीबी से पीड़ित सभी मरीजों की कोरोना जांच कराए जाने की सलाह जारी की है। मंत्रालय ने कहा कि टीबी से पीड़ित मरीजों में कोरोना संक्रमण का खतरा अन्य लोगों की तुलना में दोगुने से अधिक होता है। इसलिए इलाजरत सभी मरीजों की कोरोना जांच होनी चाहिए। हाल के एक अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना के 0.37 से लेकर 4.47 फीसद मरीजों में टीबी का संक्रमण तेजी से हुआ है।

गाइड लाइन जारी करते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान टीबी खतरे को और बढ़ा देती है। यही नहीं, टीबी से पीडि़त मरीजों में कोरोना का खतरा औरों के मुकाबले कहीं ज्यादा होता है। जिन टीबी के मरीजों का अच्छा खान-पान नहीं है और वे धूमपान भी करते हैं, उनके लिए कोरोना वायरस ज्यादा खतरनाक बन रहा है। कहा गया है कि टीबी से पीडि़त सभी की कोरोना जांच और कोराना पॉजिटिव पाए गए सभी मरीजों की टीबी की जांच जरूर होनी चाहिए।
यही नहीं आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में जनवरी से जून माह के बीच कोरोना वायरस महामारी के कारण टीबी से पीड़ित नए रोगियों की संख्या में 26 फीसद की गिरावट आई है। मंत्रालय ने कहा है कि अध्ययन से पता चला है कि टीबी से उबर चुके या उससे पीड़ित मरीजों में कोरोना संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है। सरकार ने कहा है कि टीबी और कोरोना दोनों ही संक्रामक बीमारियां हैं और सबसे पहले लंग्स पर अटैक करती हैं।
इस बीच देश में स्वस्थ हुए मरीजों की संख्या सक्रिय मामलों से साढ़े तीन गुना ज्यादा हो गई है। हालांकि संक्रमितों का आंकड़ा भी 33 लाख को पार कर गया है और इस महामारी से अब तक 60 हजार से अधिक लोगों की जान भी जा चुकी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की मानें तो अब तक तीन करोड़ 76 लाख 51 हजार 512 नमूनों की जांच की जा चुकी है।
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