स्वच्छता क्षेत्र में कैरियर के अवसर खोलेगा ‘वर्ल्ड टॉयलेट कॉलेज’

चार साल पहले तक स्वच्छता न तो सरकार के एजेंडे में थी, न ही समाज के। एजेंडा था तो शहर की नगरपालिकाओं का। वह भी ऐसा कि मुंबई-दिल्ली जैसे महानगरों में हर साल सैकड़ों सफाई कामगार मैनहोल की सफाई करते हुए मीथेन गैस की दुर्गंध से ही मर जाते हैं और शहर अपनी रफ्तार से चलता रहता है। 

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