हाईकोर्ट ने स्टोन क्रशरों को लाइसेंस दिए जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले सरकार की ओर से समय पर जवाब दाखिल न करने पर अपर मुख्य सचिव व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव को समस्त रिकार्ड के साथ 18 फरवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। पूर्व में कोर्ट ने सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जवाब दाखिल किया गया, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 फरवरी की तिथि नियत की।
सोमवार को वरिष्ठ न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में बाजपुर निवासी त्रिलोक चंद्र की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि सरकार स्टोन क्रशरों के नए लाइसेंस ईको सेंसिटिव जोन के लिए कतई जारी न करे। याचिका में यह भी प्रार्थना की गई थी कि सरकार उन क्षेत्रों में भी नए लाइसेंस जारी न करे जहां पर औद्योगिक क्षेत्र न घोषित हों।
स्क्रीनिंग प्लांटों के भी लाइसेंस जारी न किए जाएं क्योंकि स्क्रीनिंग प्लांट नदी के किनारे से 10 मीटर दूर स्थापित करने के मानक पूर्व से ही हैं। इनकी कार्य करने की प्रणाली भी स्टोन क्रशर के समान है। ये कभी भी नदी से अवैध खनन कर सकते हैं। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने अपर मुख्य सचिव व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव को 18 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के निर्देश दिए हैं।