स्कूल में आपका बच्चा क्या कर रहा है, घर बैठे देख सकेंगे सभी गतिविधियां

अगर अब नियमित स्कूल खुल सके तो दिल्ली में एक अप्रैल से साढ़े सात लाख अभिभावक घर बैठे स्कूल में बच्चों की गतिविधियां देख सकेंगे। अभिभावकों को यह सुविधा उनके मोबाइल पर मिल सकेगी। इस व्यवस्था को शुरू करने की तैयारी में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) जुट गया है। एक अप्रैल से इन सभी अभिभावकों को एक साथ उनके पासवर्ड भेज दिए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी अभिभावकों के मोबाइल नंबरों का सत्यापन कर रहा है, जिससे यदि मोबाइल नंबर बदला गया है तो उसे अपडेट किया जा सके।

दिल्ली सरकार के पास 1,028 स्कूल हैं। इनमें 15 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। ये स्कूल 728 इमारतों में हैं। इनमें से 500 इमारतों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ ही सिस्टम को तैयार कर दिया गया है। शेष का कार्य भी 31 मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा।

किसी-किसी में दो पालियों में कक्षाएं चलती हैं। कैमरों को लगाने वाली कंपनी ही पांच वर्ष के लिए मेंटेनेंस की जिम्मेदारी संभालेगी। यह काम टेक्नोसिस सिक्योरिटी लिमिटेड कर रही है। छात्र-छात्रओं की सुरक्षा के मद्देनजर करीब डेढ़ लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम जनवरी 2019 में शुरू किया गया था, जिसके तहत चार मेगा पिक्सल के कैमरे लगाए गए हैं।

सरकारी स्कूलों में 31 मार्च तक लग जाएंगे सीसीटीवी कैमरे

  • सभी सरकारी स्कूलों में यह व्यवस्था लागू की जानी है।
  • स्कूलों में कैमरे कक्षाओं, कारिडोर व सभी खुले स्थानों में लगाए गए हैं। एक स्कूल में करीब दो सौ तक कैमरे लगाए गए हैं।
  • प्रत्येक कक्षा में कैमरे लगने के साथ साथ प्रधानाध्यापक के कक्ष में एलईडी स्क्रीन भी लगा दी गई है। जिस पर वह प्रत्येक कक्षा की गतिविधि पर नजर रख सकेंगे।
  • यदि कोई कैमरे के साथ छेड़छाड़ करता है या उसके छूने की कोशिश करता है तो तुरंत स्कूल के प्रधानाचार्य और पीडब्ल्यूडी के संबंधित अभियंता के मोबाइल पर संदेश जाएगा।
  • करोड़ रुपये की लागत से पूरी होगी परियोजना
  • करोड़ में होगी सीसीटीवी कैमरों की खरीद
  • करोड़ रुपये मेंटेनेंस पर खर्च होंगे 5 वर्ष तक
  • स्कूलों की इमारतों में सिस्टम तैयार

इसलिए बनी योजना

सितंबर 2017 में गुरुग्राम के एक निजी स्कूल में एक बच्चे की हत्या कर दी गई थी। बच्चे का शव स्कूल के शौचालय में मिला था, जिसके बाद दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना पर काम शुरू किया गया, जो जनवरी 2019 तक जमीन पर उतर सका।

 

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