इंदौर, पटना, सूरत, पुणे और जयपुर जैसे छोटे महानगरों की आर्थिक विकास दर वर्ष 2001 से 2011 के बीच 40 प्रतिशत से अधिक रही। मुंबई-कोलकाता जैसे महानगर इस विकास दर से काफी पीछे रहे। हालांकि ये शहर तब भी बड़े रहेंगे, लेकिन सवाल है, कुछ शहर बहुत तेज़ी से विकसित क्यों होते हैं या कोई शहर पिछड़ क्यों जाता है? कौन-सी परिस्थितियां है जो शहरों के उत्थान और पतन की कहानियां लिखती हैं।
शहरी अर्थव्यवस्था से जुड़े इन सवालों का कोई सामान्य उत्तर नहीं है, लेकिन पिछले पचास से अधिक वर्षों में हुए विभिन्न अनुसंधानों से हमें शहरों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले पांच प्रमुख कारणों का पता चलता है। इनमें शहर की भौगोलिक स्थिति, तीव्र और सुगम परिवहन, पानी-बिजली और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के अलावा कुशल कर्मचारियों की उपलब्धता भी एक अनिवार्य शर्त है।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में यानी जनवरी से मार्च 2018 में देश की आर्थिक विकास दर 7.7 फीसदी रही। पूरा विश्व उसे आशा भरी निगाहों से देख रहा है। नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आश्वस्त थे कि भारत दहाई अंक की विकास दर हासिल करने की ओर बढ़ रहा है। विकास दर वह मानक है, जिसमें हर व्यक्ति के विकास की राह छिपी है। भारत अगर दस फीसदी की विकास दर हासिल करता है। तभी गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी जैसी समस्याओं से मुक्ति संभव है।