हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है। चुनाव में एक माह से कम वक्त बचा है। बीजेपी ने आधी से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। कांग्रेस भयानक आंतरिक कलह से जूझ रही है। इस कारण पार्टी में बिखराव सा है। सोनिया गांधी की सीख भी हरियाणा के कांग्रेसियों को एकजुट नहीं कर सकी।

उनके हस्तक्षेप के बाद पार्टी को नया अध्यक्ष मिल गया, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी नए व्यक्ति को दे दी गई, चुनावी घोषणा पत्र तैयार करने और प्रचार की जिम्मेदारी अलग- अलग नेताओं को थमा दी, मगर पार्टी में गुटबाजी कम होने का नाम ही नहीं ले रही।
चुनाव में अब महज बीस दिन शेष बचे हैं, मगर कांग्रेस में खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार बताने वाले बड़े नेता अभी तक एकला चलो की राह पर हैं। प्रदेश की राजनीति की नब्ज पहचानने वालों का कहना है कि कांग्रेसियों की यह नीति पार्टी के लिए आत्मघाती सिद्ध हो सकती है।
मालूम हो कि हरियाणा कांग्रेस में लंबे वक्त से चल रही गुटबाजी खत्म करने के लिए बीते दिनों कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश के नेताओं की बैठक ली थी।
प्रदेश में पार्टी की कमान संभाल रहे अशोक तंवर को उनके पद से हटाकर कुमारी शैलजा को कांग्रेस पार्टी का प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बगावती तेवर को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने उनकी कुछ मागों पर हामी भर दी थी।
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