सैलरी वाले लोगो को लगा बड़ा झटका…पीएफ पर ब्याज दर घटकर हुई…

वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भविष्य निधि पर ब्याज दर 8.65 फीसदी थी। यह जानकारी श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने दी। श्रम मंत्री ने बताया कि ईपीएफओ के शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने बैठक के बाद ब्याज दर घटाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करीब छह करोड़ अंशधारकों को झटका लगा है।

अब नई ब्याज दर पिछले सात सालों में सबसे कम है। इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 में पीएफ पर ब्याज दर 8.5 फीसद दी थी।

पिछले साल मार्च के अंत में इक्विटीज में ईपीएफओ का कुल निवेश 74,324 करोड़ रुपये का था और उसे 14.74 फीसदी का रिटर्न मिला था। बता दें कि पहले ही इस तरह की अटकलें थीं कि ईपीएफ पर ब्याज दर को चालू वित्त वर्ष में घटाकर 8.5 फीसदी किया जा सकता है। 2018-19 में ईपीएफ पर 8.65 फीसदी ब्याज दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के लिए ईपीएफओ की आय का आकलन करना मुश्किल है। इसी आधार पर ब्याज दर तय की जाती है।

इससे पहले वित्त मंत्रालय श्रम मंत्रालय पर इस बात के लिए दबाव बना रहा था कि ईपीएफ पर ब्याज दर को सरकार द्वारा चलाई जाने वाली अन्य लघु बचत योजनाओं मसलन भविष्य निधि जमा (पीपीएफ) और डाकघर बचत योजनाओं के समान किया जाए। किसी वित्त वर्ष में ईपीएफ पर ब्याज दर के लिए श्रम मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की सहमति लेनी होती है। चूंकि भारत सरकार गारंटर होती है ऐसे में वित्त मंत्रालय को ईपीएफ पर ब्याज दर के प्रस्ताव की समीक्षा करनी होती है जिससे ईपीएफओ आमदनी में कमी की स्थिति में किसी तरह की देनदारी की स्थिति से बचा जा सके।

ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को 2016-17 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी ब्याज दिया था। वित्त वर्ष 2015-16 में इस पर 8.8 फीसदी का ऊंचा ब्याज दिया गया था। इससे पहले 2013-14 और 2014-15 में ईपीएफ पर 8.75 फीसदी का ब्याज दिया गया था। 2012-13 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.5 फीसदी रही थी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com