अब नई ब्याज दर पिछले सात सालों में सबसे कम है। इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 में पीएफ पर ब्याज दर 8.5 फीसद दी थी।
इससे पहले वित्त मंत्रालय श्रम मंत्रालय पर इस बात के लिए दबाव बना रहा था कि ईपीएफ पर ब्याज दर को सरकार द्वारा चलाई जाने वाली अन्य लघु बचत योजनाओं मसलन भविष्य निधि जमा (पीपीएफ) और डाकघर बचत योजनाओं के समान किया जाए। किसी वित्त वर्ष में ईपीएफ पर ब्याज दर के लिए श्रम मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की सहमति लेनी होती है। चूंकि भारत सरकार गारंटर होती है ऐसे में वित्त मंत्रालय को ईपीएफ पर ब्याज दर के प्रस्ताव की समीक्षा करनी होती है जिससे ईपीएफओ आमदनी में कमी की स्थिति में किसी तरह की देनदारी की स्थिति से बचा जा सके।
ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को 2016-17 में 8.65 फीसदी और 2017-18 में 8.55 फीसदी ब्याज दिया था। वित्त वर्ष 2015-16 में इस पर 8.8 फीसदी का ऊंचा ब्याज दिया गया था। इससे पहले 2013-14 और 2014-15 में ईपीएफ पर 8.75 फीसदी का ब्याज दिया गया था। 2012-13 में ईपीएफ पर ब्याज दर 8.5 फीसदी रही थी।