बलिदान कुलदीप मालिक के पार्थिव शरीर को गांव निडाणी में पहुंचते ही भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया। गांव के लोग, उनके परिजन और स्थानीय प्रशासन ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर शोक की लहर दौड़ गई और हर किसी की आंखें नम थीं।
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर के बसंतगढ़ इलाके में हुए आतंकी हमले में बलिदान हुए जींद जिले के गांव निडानी निवासी सीआरपीएफ इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक का पार्थिव शरीर बुधवार सुबह गांव में पहुंचा। कुलदीप मलिक का सैन्य सम्मान के साथ बुधवार को अंतिम संस्कार हुआ। कुलदीप के बेटे नवीन ने मुखाग्नि दी। सेना के अधिकारियों ने बेटे को तिरंगा सौंपा। सेना की टुकड़ी ने बलिदानी को अंतिम सलामी दी और मातमी धुन बजी।
ग्रामीणों के अलावा आसपास के गांवों से भी लोग तथा हजारों युवा उनकी अंतिम यात्रा पहुंचे और नम आंखाें के साथ देशभक्ति नारे लगाए। इस दौरान सोनीपत सांसद सतपाल ब्रह्मचारी, जुलाना विधायक अमरजीत ढांडा के अलावा प्रशासन की तरफ से डीसी मोहम्मद इमरान रजा, एसपी सुमित कुमार ने मौके पर पहुंचे और श्रद्धांजलि दी। वीरांगना के आंसू नही थम रहे थे। दोनों बेटे किसी तरह अपने आंसू रोक पा रहे थे।
कुलदीप की विरांगना पत्नी लक्ष्मी का रो-रोकर बुरा हाल था। शहीद पति के अंतिम दर्शन के समय लक्षमी ने वंदे मातरम का नारा तो जरूर लगाया लेकिन अपने आंसू नहीं रोक पाई। कुलदीप के बेटे नवीन और संजय अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहे थे लेकिन ये थम नहीं पा रहे थे। सेना के जवान और लोग परिवार के लोगों को ढांढस बंधा रहे थे। परिवार की महिलाओं को रो-रोकर बुरा हाल था। परिवार के बुजुर्ग लोग लगातार उनको ढांढस बंधा रहे थे कि कुलदीप मलिक देश के काम आया है और आतंकवादियों से लोहा लेते हुए बलिदान हुआ है, यह हमारे लिए गर्व की बात है।
बेटा बोला : हर रोज कोई न कोई अपना बेटा, अपना पिता खो रहा है
पिता कुलदीप मलिक के बलिदान होने का पता चलते ही दिल्ली में सेना में तैनात उसका बेटा नवीन छुट्टी लेकर घर पर आया हुआ है। नवीन ने कहा कि तीन माह से जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की गतिविधि बढ़ी है। हर रोज कोई न कोई अपना बेटा, अपना पिता व पति को खो रहा है, इसके लिए पाकिस्तान से बदला लेना चाहिए।
बात हुई थी और उसने कहा था कि रक्षाबंधन का त्योहार अच्छे से मनाना और मिलजुलकर रहना। उसने पिता कुलदीप मलिक को कहा था कि आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई हैं, इसलिए ध्यान से रहना, लेकिन उन्होंने कहा था कि बहादुरों वाली जिंदगी जी है, यही जीते रहेंगे। पिता ने वायदा किया था कि अगले माह नवीन के जन्मदिन पर छुट्टी लेकर आएगा, लेकिन दोपहर बाद उनको सूचना मिली कि आतंकवादियों से लोहा लेते हुए बलिदान हो गया।
भाई बोला- छुट्टी नहीं मिलने से रक्षाबंधन पर घर नहीं आया कुलदीप
छोटे भाई कृष्ण ने बताया कि रक्षाबंधन पर कुलदीप मलिक को छुट्टी आना था, लेकिन दो माह से वहां पर आतंकवादी गतिविधि ज्यादा होने के कारण छुट्टी नहीं मिली। सोमवार को चार बजे के आसपास के सीआरपीएफ कमांडर का फोन आया कि आतंकवादियों से लोहा लेते हुए कुलदीप के गोली लगी हैं और उसका अस्पताल में इलाज करवाया जा रहा है। थोड़ी ही देर के बाद फोन आया कि कुलदीप मलिक बलिदान हो गए। जम्मू कश्मीर में बढ़ रही आतंवादी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को कड़ा फैसला लेना चाहिए। हर दिन कोई न कोई बलिदान हो रहा है। जींद जिले में ही दो माह में दो बलिदान हो चुके हैं। विपक्ष को भी इस मामले को संसद में उठाना चाहिए, लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
गौरतलब है कि जींद जिले के गांव निडानी निवासी सीआरपीएफ इंस्पेक्टर कुलदीप मालिक जम्मू-कश्मीर के ऊधमपुर के बसंतगढ़ इलाके में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में दो दिन पहले सोमवार को शहीद हो गए थे। उनके शहीद होने की सूचना आने के बाद गांव में मातम छा गया। 54 वर्षीय कुलदीप मलिक जल्द ही डीएसपी के पद पर पदोन्नत होने वाले थे। देश के लिए आतंक से लोहा लेते हुए 44 दिन के भीतर हरियाणा और जींद की माटी के दूसरे लाल ने वीरगति पाई है। इससे पहले सात जुलाई को जाजनवाला के लांस नायक पैरा कमांडो प्रदीप नैन शहीद हुए थे। अब ऊधमपुर में सोमवार को निडानी का लाल सीआरपीएफ इंस्पेक्टर कुलदीप मलिक शहीद हुआ है।
कुश्ती में नेशनल स्तर के खिलाड़ी रहे कुलदीप लगभग 34 साल पहले खेल कोटे से सीआरपीएफ में बतौर कांस्टेबल नियुक्त हुए थे। उनके दो भाई दिलबाग व सतपाल गांव में ही खेती करते हैं। कुलदीप का बड़ा बेटा नवीन सेना में चालक के पद पर दिल्ली में तैनात हैं और दूसरा संजय रेलवे पुलिस में अमृतसर में तैनात हैं। दोनों ही बेटे शादीशुदा हैं। शहीर कुलदीप की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए।