सूर्य ग्रह को नवग्रहों में विशेष स्थान प्राप्त है और सूर्य आराधना से मानव को सभी सुखों की प्राप्ति के साथ आरोग्य और यश की प्राप्ति होती है। सूर्योदय के समय सूर्य आराधना करने और सूर्य को अर्घ्य देने से सभी मनोकामना पूरी होती है।

सबसे पहले सूर्योदय के पूर्व स्नान आदि से निवृत्त होकर एक लोटे में जल लें। लोटा तांबे का होना चाहिए, क्योंकि तांबे का संबंध सूर्यदेव से माना गया है। इसलिए तांबे के लोटे से जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
सूर्य को हमेशा अर्घ्य सूर्योदय के एक घंटे के अंदर देना चाहिए। गर्मी और ठंड के समय सूर्योदय के समय में परिवर्तन हो सकता है। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़ा होना चाहिए।
सूर्य यदि बादलों की ओट में छिपा हुआ हो तब पूर्व दिशा में सूर्य की उपस्थिति मानकर अर्घ्य दिया जा सकता है। सूर्य का संबंध लाल रंग से होता है इसलिए लाल रंग के वस्त्र पहनकर जल देना श्रेष्ठ होता है। अर्घ्य के जल में अपनी मनोकामना के अनुसार कुमकुम, अक्षत हल्दी, रक्त चंदन, लाल पुष्प आदि मिलाए जा सकते हैं। सूर्य के मंत्रों से का जाप करना श्रेष्ठ फल देता है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal